जनता जर्नादनफ्लैश न्यूज

मुख्यमंत्री द्वारा विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को 858 टैबलेट का वितरण

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि व्यक्ति के विवेक, साहस, सोच और बुद्धिमत्ता से उसकी पहचान बनती है। व्यक्ति का मूल्यांकन उसकी शारीरिक बनावट से नहीं होता। भारत ने इस बात के अनेक उदाहरण दिये हैं जब शारीरिक रूप से दिव्यांग व्यक्तियों ने अपनी बुद्धिमत्ता, विवेक व साहस से दुनिया के समक्ष आदर्श प्रस्तुत किया है।

मुख्यमंत्री आज यहां डॉ0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के अटल प्रेक्षागृह में आयोजित विभिन्न कार्याें के शिलान्यास एवं टैबलेट वितरण कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने विश्वविद्यालय के अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संकाय के भवन के साथ-साथ जनपद चन्दौली के ‘ममता’ राजकीय मानसिक मंदित विद्यालय (आवासीय) तथा जनपद चित्रकूट के संकेत जूनियर हाईस्कूल (आवासीय) भवन का शिलान्यास किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की ऋषि परम्परा में ऋषि अष्टावक्र तथा मध्यकालीन भक्ति काल के महाकवि सूरदास की रचनाओं से साहित्य में रुचि रखने वाले सभी परिचित होंगे। महाकवि सूरदास की भक्ति कालीन रचनाओं से हमें कहीं भी नहीं लगता कि सूरदास जन्म से दृष्टिबाधित रहे होंगे। उनकी रचनाएं हमें एक नई दिशा देती हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी दिवंगत स्टीफन हॉकिंस के बारे में कौन नहीं जानता है। ब्रह्माण्ड के रहस्य के बारे में उनकी थ्योरी का पूरी दुनिया लोहा मानती है। अनेक उदाहरण हैं जहां पर दिव्यांगजनों ने अपनी प्रतिभा और बुद्धिमत्ता से देश-दुनिया के सामने अपनी असीम ऊर्जा की छाप छोड़ी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे ऊर्जावान राज्य है। उत्तर प्रदेश में असीम प्रतिभाएं हैं। इस ऊर्जा और प्रतिभा को जिसने भी जाना है, उसने उत्तर प्रदेश के लिए जो भी योगदान किया है, उसका प्रतिफल उसे अवश्य मिला है। उत्तर प्रदेश को प्रकृति व परमात्मा का असीम वरदान प्राप्त है, प्रकृति और परमात्मा के इस असीम वरदान से जो भी जुड़ेगा वह यशस्वी हो जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में स्थित डॉ0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय विश्व में दिव्यांगजनों के पुनर्वास के लिए पूरी मजबूती के साथ कार्य कर रहा है। विश्वविद्यालय की यह खूबी है कि विश्वविद्यालय में अध्ययनरत आधे बच्चे दिव्यांग हैं एवं आधे सामान्य बच्चे हैं। इनके आपस में मिलकर एक साथ कार्य करने तथा बेहतर समन्वय, संवाद व एक दूसरे की ऊर्जा का स्पन्दन विश्वविद्यालय को एक नई ऊंचाई की ओर ले जा रहा है। विश्वविद्यालय के पास अब अपना स्वयं का अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संकाय स्थापित होने जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में टैबलेट एवं स्मार्टफोन वितरण की अभिनव योजना की शुरुआत गत वर्ष की गयी थी। आज इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को 858 टैबलेट का वितरण किया जा रहा है। विश्वविद्यालय के 10 बच्चों को पूर्व मंे ही इकाना स्टेडियम में आयोजित समारोह में टैबलेट दिये जा चुके हैं। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि अकेले जनपद लखनऊ के लिए 01 लाख 06 हजार 151 टैबलेट एवं स्मार्टफोन उपलब्ध कराये गये हैं, जिनमें 44 हजार 720 स्मार्टफोन एवं 31 हजार 29 टैबलेट अब तक वितरित कराये जा चुके हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह योजना प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के डिजिटल इण्डिया के स्वप्न को साकार करने के उद्देश्य से संचालित की जा रही है। सदी की सबसे बड़ी महामारी कोरोना के दौरान सर्वाधिक प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में शिक्षा भी थी। स्कूली शिक्षा, कॉलेज शिक्षा, तकनीकी शिक्षा सहित शिक्षा के सभी क्षेत्र इससे प्रभावित हुए थे। ऐसी स्थिति में प्रदेश सरकार द्वारा ऑनलाइन शिक्षा की शुरुआत की गयी थी। लेकिन अनेक बच्चों के पास स्मार्टफोन, टैबलेट खरीदने की क्षमता नहीं थी।

ऐसी स्थिति में शासन ने प्रदेश के 01 करोड़ बच्चों को टैबलेट एवं स्मार्टफोन उपलब्ध कराने का निर्णय लिया। टैबलेट एवं स्मार्टफोन वितरण के इस कार्यक्रम के बाद प्रदेश के युवाआंे के हाथों में पूरी दुनिया होगी। राज्य सरकार इससे अनेक प्रकार के कार्यक्रमों एवं संस्थाओं को जोड़ेगी। इसमें हर प्रकार के पाठ्यक्रम टैग होंगे। विद्यार्थियों को इससे जुड़ने का अवसर प्राप्त होगा।

मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा आई0टी0 एवं इलेक्ट्रॉनिक्स तथा औद्योगिक विकास विभाग के समन्वय से नए-नए प्रोग्राम के साथ इन बच्चों को जोड़ने का कार्य किया जाएगा। इससे ऑनलाइन एजुकेशन के साथ-साथ इन विद्यार्थियों को किसी परीक्षा की ऑनलाइन तैयारी के लिए भी सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। कोरोना जैसी महामारी के समय ऑनलाइन परीक्षा के लिए बच्चों को इसके साथ जोड़ा जा सकेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें समय के अनुरूप चलना होगा। समय के अनुरूप जो भी चलता है, वह हमेशा अग्रणी भूमिका में अपनी नई पहचान बनाता है। हमें पीछे की पंक्ति में रहकर नहीं, बल्कि अपने-अपने क्षेत्र में नेतृत्वकर्ता के रूप में आगे बढ़ना होगा। इसके लिए अपने आपको तैयार करना होगा। अपने मन की हीन भावना को त्यागना होगा। यह मानना होगा कि हम इस कार्य को कर सकते हैं। मैं करूंगा, इस विश्वास के साथ आगे बढ़ना होगा।

आप देखेंगे कि आपके मार्ग में जो शूल है वह फूल बनते हुए नजर आएंगे। उन्होंने कहा कि सामान्य बच्चे हों या दिव्यांग बच्चे, जब भी आप चुनौती को स्वीकार करते हुए आगे बढ़ेंगे, तो वह चुनौती, चुनौती नहीं रहेगी। हम में आगे बढ़ने की इच्छाशक्ति और संकल्प होना चाहिए और इसके अनुरूप हमारी रणनीति भी होनी चाहिए। इसके अनुरूप हम स्वयं को ढालने का प्रयास करेंगे, तो फिर कहीं कोई समस्या हमारे सामने बाधक नहीं बन सकती।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 05 साल पहले उत्तर प्रदेश बीमारू प्रदेश था। आज यह देश की नम्बर-2 की अर्थव्यवस्था बन चुका है। उत्तर प्रदेश को देश की छठी अर्थव्यवस्था बनने में 70 वर्ष लगे और वर्तमान राज्य सरकार ने प्रदेश को मात्र 05 वर्षाें में देश की नम्बर-2 अर्थव्यवस्था बना दिया। इन 05 वर्षाें में से 02 वर्ष तो कोरोना जैसी महामारी से जूझने में व्यतीत हुए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में 05 वर्ष पूर्व दंगे, गुण्डागर्दी, अराजकता की स्थिति थी। आज उत्तर प्रदेश में सर्वत्र शांति एवं सौहार्द है। अराजकता व गुण्डागर्दी के लिए उत्तर प्रदेश में कोई जगह नहीं है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश का हर तबका विकास की मुख्य धारा के साथ जुड़कर एक स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा के साथ आगे बढ़ रहा है। शिक्षण संस्थानों, विद्यालयों-महाविद्यालयों को इस स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा के साथ जुड़ने के लिए अपने को तैयार करना पड़ेगा। प्रदेश सरकार द्वारा अच्छे विश्वविद्यालय, शिक्षण संस्थान, चिकित्सा संस्थान, तकनीकी संस्थान स्थापित किये जा रहे हैं। प्रदेश में जो कुछ भी होगा वह वर्ल्ड क्लास होगा, इस संकल्प के साथ हमें आगे बढ़ना होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार के पास किसी भी प्रकार के संसाधनों की कमी नहीं है। फिजूलखर्ची के लिए हमारे पास कोई पैसा नहीं है, लेकिन हर व्यक्ति की जरूरत को पूरा करने और उसकी आवश्यकताओं के अनुरूप सरकार के पास प्रचुर संसाधन उपलब्ध हैं। एक टीमवर्क के साथ उत्तर प्रदेश की 25 करोड़ जनता की आवाज एक ताकत और हमारी पूंजी है। प्रदेश सरकार ने कोरोना काल में इसी ताकत से महामारी का मिलकर सामना किया।

कोरोना कालखण्ड में 01 करोड़ प्रवासी श्रमिकों/कामगारों की वापसी के समय भी प्रदेश सरकार ने इसी ताकत के साथ समस्या का समाधान किया। राज्य सरकार ने उनकी प्रतिभा और कौशल का लाभ उठाकर उनकी स्किल मैपिंग कर रोजगार देकर प्रवासी श्रमिकों/कामगारों को प्रदेश के विकास में सहभागी बनाया। आज उत्तर प्रदेश में नए-नए उद्योग लग रहे हैं। प्रदेश में स्किल्ड मैनपावर की कोई कमी नहीं है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के पास कुछ न कुछ क्षमता अवश्य है। ‘अयोग्यः पुरुषो नास्तिः।’ कुछ भी अयोग्य नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति के अन्दर कुछ न कुछ गुण अवश्य हैं। उस गुण को पहचान कर किस प्रकार उसका उपयोग करना है, यह हमारी संस्थाओं को तय करना है। प्रदेश सरकार प्रधानमंत्री जी की आभारी है कि उन्होंने विकलांग की जगह दिव्यांग शब्द दिया। उन्होंने दिव्यांगजन शब्द मंे दिव्यांगजनों को दिव्य ऊर्जा का स्रोत माना है। आपके पास एक दिव्य शक्ति है, जो आपको आगे बढ़ने को प्रेरित करती है। प्रधानमंत्री जी ने दिव्यांग शब्द से जोड़कर आपके आत्म मनोबल और आत्म सम्मान को बढ़ाने का कार्य किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2017 में वर्तमान सरकार के गठन के समय दिव्यांगजन पेंशन राशि 300 रुपये प्रतिमाह थी, जिसे प्रदेश सरकार ने बढ़ाकर 500 रुपये प्रतिमाह किया। पुनः दिसम्बर, 2021 में इसे बढ़ाकर 1000 रुपये प्रतिमाह अर्थात 12,000 रुपये वार्षिक कर दिया गया है। दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग का वार्षिक बजट पहले 660 करोड़ रुपये था, जिसे 1150 करोड़ रुपये से अधिक का किया गया है। इसके कारण इसमें अनेक नई सम्भावनाएं साकार हुई हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में पहले 8,75,000 दिव्यांगों को ही पेंशन की सुविधा मिलती थी। अब 11,26,000 दिव्यांगजनों को पेंशन का लाभ दिया जा रहा है। इसी प्रकार, कुष्ठावस्था पेंशन योजना में 4,765 लोगों को पेंशन दी जाती थी। आज 11,584 नए लोगों को इस सुविधा का लाभ दिया जा रहा है। कृत्रिम अंग उपकरण में दिव्यांगजनों को पहले 8,000 रुपये अनुदान दिया जाता था, जिसे बढ़ाकर 10,000 रुपये किया गया है। साथ ही, कृत्रिम अंग एवं सहायक उपकरण देने की व्यवस्था इसके साथ की जा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत 05 वर्षाें में प्रदेश सरकार ने 02 लाख 56 हजार 165 दिव्यांगजनों को कृत्रिम अंग व उपकरण वितरित करने का कार्य किया है। दिव्यांगजनों को परिवहन निगम की बसों में निःशुल्क यात्रा की सुविधा भी दी गयी है, जबकि ऐसी सुविधा पहले नहीं थी। इसी प्रकार, दिव्यांगजनों के प्रोत्साहन के लिए पहले तीन श्रेणियों में राज्यस्तरीय पुरस्कार दिये जाते थे, जिसे बढ़ाकर 12 श्रेणी तथा 30 उप श्रेणियों में दिये जाने की व्यवस्था की गयी है। इसमें मिलने वाली पुरस्कार राशि को 5,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा शल्य चिकित्सा के क्षेत्र में कॉक्लियर इम्प्लाण्ट के लिए लाभार्थी को 06 लाख रुपये उपलब्ध कराये गये हैं। पिछले 05 वर्षाें के दौरान प्रदेश में 1,538 कैप्टिव सर्जरी एवं 234 श्रवणबाधित बच्चों के लिए कॉक्लियर इम्प्लाण्ट सर्जरी की व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा की गयी है। प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में 100 मोटराइज्ड ट्राई साइकिल उपलब्ध कराये जाने का कार्य किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि दिव्यांगजनों के अधिकारों को लेकर देश का प्रथम पुरस्कार प्रदेश को प्राप्त हुआ है। उत्कृष्ट राजकीय ब्रेल प्रेस का पुरस्कार, दिव्यांगजनों की पुनर्वास योजना के प्रभावी ढंग से संचालन के लिए लखनऊ को उत्कृष्ट जनपद का राष्ट्रीय पुरस्कार, सुगम्य भारत अभियान कार्यक्रम में प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सर्वश्रेष्ठ राज्य का पुरस्कार प्रदेश को मिला है। वाराणसी जनपद को प्रभावी पुनर्वास संचालन हेतु वर्ष 2019 का राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है। राज्य सरकार उन अनेक सुविधाओं को जो दिव्यांगजनों के कार्य को और सरलीकृत करते हुए उनके जीवन को और सरल तथा आसान बना सके, इसके लिए पूरी तरह तत्पर है और इसमें पूरा सहयोग करेगी

मुख्यमंत्री ने कहा कि वैश्विक महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध तथा चीन में लॉकडाउन के दृष्टिगत टैबलेट व स्मार्टफोन में लगने वाली चिप की मैन्युफैक्चरिंग नहीं हो पा रही है, इसलिए फेज वाइज इनका वितरण किया जा रहा है। पहले फाइनल ईयर के छात्र-छात्राओं को इनका वितरण किया जा रहा है। तत्पश्चात सेकेण्ड ईयर एवं प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं को वितरण की कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक युवा को स्मार्ट युवा बनाएंगे। उन्हें स्मार्टफोन व टैबलेट देने का कार्य राज्य सरकार करेगी। मुख्यमंत्री जी ने उन सभी बच्चों को जिन्हें आज टैबलेट प्राप्त हुआ है, उन्हें शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वे टैबलेट का बेहतर उपयोग अपने पाठ्यक्रम के साथ-साथ परीक्षा की तैयारी में करेंगे।

इसके पूर्व, कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जी का पुष्प, रुद्राक्ष बाल वृक्ष एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर स्वागत किया गया। विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा कुलगीत प्रस्तुत किया गया। साथ ही, विश्वविद्यालय के उद्देश्यपरक एवं कार्य-कलापों के विषय से सम्बन्धित एक लघु वृत्त चित्र का प्रदर्शन किया गया।

इस अवसर पर दिव्यांगजन सशक्तीकरण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री नरेन्द्र कश्यप ने कहा कि दिव्यांगजनों के शिक्षण-प्रशिक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा दिव्यांगजनों की श्रेणी के अनुसार विशेष विद्यालय संचालित किये जा रहे हैं। दिव्यांग विद्यार्थियों को पाठ्य सामग्री एवं अन्य सहायक उपकरण भी उपलब्ध कराया जा रहा है। इसी कड़ी में दिव्यांग विद्यार्थियों को तकनीकी से जोड़ने की प्रक्रिया के अन्तर्गत आज विश्वविद्यालय के अन्तिम वर्ष के विद्यार्थियों को टैबलेट का वितरण किया जा रहा है।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव दिव्यांगजन सशक्तीकरण श्री हेमन्त राव, कुलपति डॉ0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय श्री आर0के0पी0 सिंह, निदेशक दिव्यांगजन सशक्तीकरण श्री सत्य प्रकाश पटेल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

राज्‍यों से जुड़ी हर खबर और देश-दुनिया की ताजा खबरें पढ़ने के लिए नार्थ इंडिया स्टेट्समैन से जुड़े। साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप को डाउनलोड करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Back to top button

sbobet

https://www.baberuthofpalatka.com/

Power of Ninja

Power of Ninja

Mental Slot

Mental Slot