
मलेशिया में सबसे पहले पहुंचा था निपाह वायरस, अब भारत के इस राज्य में दी दस्तक
तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच केरल में कोरोना एक बार फिर पैर पसारने लगा है। लेकिन इसके साथ ही निपाह वायरस का खतरा भी बढ़ता दिखाई दे रहा है। कोरोना वायरस की तरह ही निपाह वायरस भी केरल में बढ़ रहा है। केरल के कोझिकोड में निपाह वायरस की चपेट में आने से एक 12 साल के बच्चे की मौत हो गई। इस बता की जानकारी केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जार्ज ने खुद दी है। वीणा जार्ज ने बताया कि निपाह वायरस से संक्रमित होने के बाद बच्चे को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मौत से पहले पीड़ित लड़के के शरीर से कुछ नमूने लिए गए थे जिन्हें पुणे के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान (एनआईवी) भेजा गया। जिसकी रिपोर्ट में निपाह वायरस की पुष्टि हुई है।
केरल पहले से ही कोविड -19 महामारी से जूझ रहा है। इन दिनों देश में आ रहे नए मामलों में लगभग 60% मामले केरल से ही आ रहे हैं। ऐसे समय में निपाह वायरस के केस सामने आने के बाद एक नया खतरा हो गया है। हालांकि, यह पहली बार नहीं है कि केरल में या भारत में कहीं और निपाह वायरस का पता चला है। हालांकि इससे पहले आए मामले ज्यादा बढ़ नहीं पाए थे और जल्दी ही नियंत्रण में आ गए थे।
निपाह वायरस क्या है?
इंसानों में निपाह वायरस का पहला मामला मलेशिया (1998) और सिंगापुर (1999) से दर्ज किया गया था। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के अनुसार, मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह गांव में इस वायरस का सबसे पहले पता चला था। इस गांव के नाम पर ही इसका नाम निपाह पड़ा। निपाह वायरस के कई प्रकोप हुए हैं। ये सभी दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में तक ही सीमित रहे। 2001 के बाद से बांग्लादेश में कम से कम 10 प्रकोप हुए हैं। भारत में पश्चिम बंगाल में 2001 और 2007 में प्रकोप देखा गया था। सिलीगुड़ी में इस वायरस के संक्रमण के 66 मामले सामने आए थे जिनमें से 45 मरीजों की मौत हो गई थी। जबकि केरल में 2018 में कई मामले दर्ज किए गए थे। रिपोर्ट के अनुसार यह वायरस सबसे पहले मलेशिया में सुअर पालने वालों में पाया गया जिसके बाद यह चमगादड़ों में फैल गया।
क्या यह कोविड-19 जितनी तेजी से फैलता है?
निपाह वायरस SARS-CoV-2 की तुलना में कहीं अधिक धीरे-धीरे फैलने के लिए जाना जाता है। हालाँकि, इसके जानलेवा क्षमता सबसे बड़ी चिंता है। सिलीगुड़ी में पहले प्रकोप के दौरान, 66 लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि की गई, जिनमें से 45 की मौत हो गई। यानी मृत्यु दर 68 फीसदी रहा। 2007 में आए अगले प्रकोप में पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में सभी पांच संक्रमित लोगों की मृत्यु हो गई थी। केरल में 2018 में सबसे हालिया प्रकोप के दौरान 18 में से 17 रोगियों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई, जिनकी मृत्यु हो गई। 2019 में एर्नाकुलम में निपाह वायरस संक्रमण के एक मामले का पता चला था। लेकिन त्वरित प्रतिक्रिया ने आगे प्रसार को रोक दिया और संक्रमित व्यक्ति बच गया।
कैसे फैलता है?
यह एक जूनोटिक वायरस है। जिसका अर्थ है कि यह जानवरों से इंसानों में पहुंचता है। संचरण मुख्य रूप से दूषित भोजन के सेवन से होता है। लेकिन मानव-से-मानव संचरण भी संभव माना जाता है। यह बीमारी चमगादड़ों द्वारा खाए या चाटे फलों को खाने से होता है। वहीं निपाह वायरस से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना भी संक्रमण का एक कारण हो सकता है। विशेषज्ञों की माने तो चमगादड़ों के अलावा यह वायरस सुअरों के संपर्क में आने से भी फैल सकता है. इंसानों में निपाह वायरस का संक्रमण आंखें, नाक और मुंह के रास्ते होता है।
राज्य सरकार ने तेज किए प्रयास
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य का स्वास्थ्य विभाग निपाह वायरस की उत्पत्ति के संबंध में पता लगाने तथा इसके सम्पर्क में आए लोगों की पहचान करने को प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि ऐसी आशंका है कि निपाह के कारण जान गंवाने वाले 12 साल के लड़के के सम्पर्क में कई लोग आए होंगे। जॉर्ज ने पत्रकारों से कहा कि लड़के के सम्पर्क में आए 20 लोगों में से सात लोगों के नमूने पुणे के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) भेजे गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘संक्रमण के सम्पर्क में आए लोगों की तीव्रता से पहचान सबसे जरूरी है। हम जमीनी स्तर पर काम कर रहे अपने कर्मचारियों को इसके लिए विशेष प्रशिक्षण दे रहे हैं।
केंद्र ने भेजी टीम
निपाह वायरस से युवक की मौत की पुष्टि होने के बाद केंद्र ने राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र की एक टीम को केरल भेजा है। जो केरल पहुंचकर राज्य सरकार को तकनीकि सहायता देगी। कहा जाता है कि चमगादड़ जब फलों को खाता है तो उसकी लार फलों पर लग जाती है। इसी से निपाह वायरस फैलता है। आमतौर पर चमगादड़ों में पाया जाने वाला निपाह वायरस विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा पहचाने गए रोगजनकों की शीर्ष 10 में शामिल टॉप लिस्ट में दर्ज किया गया है और मनुष्यों में इसका फैलना बहुत घातक हो सकता है।