
चिपकाने के लिए जो ग्लू इस्तेमाल करते हैं, वो बॉटल में अंदर ही क्यों नहीं चिपक जाती?
किसी चीज को चिपकाने के लिए आप ग्लू का इस्तेमाल तो करते हैं पर क्या कभी सोचा है कि ये बॉटल के अंदर ही क्यों नहीं चिपक जाता। ग्लू में ऐसा क्या होता है कि इसे बॉटल से बाहर निकालकर किसी चीज को चिपकाने से वह चीज चिपक जाती है। लेकिन बॉटल के अंदर कुछ भी नहीं चिपकता। अगर आप भी इस सवाल का जवाब नहीं जानते हैं तो चिंता मत कीजिए। आपके लिए हम इसका जवाब लेकर आए है।
यह कोई जादू नहीं बल्कि साइंस है। अधिकतर लोग जिस सफेद ग्लू का इस्तेमाल करते है। वह केमिकल्स की वेराइटी से तैयार होता है। इन केमिकल्स को पॉलिमर्स कहते है। ये पॉलिमर्स लंबे और चिपचिपे स्ट्रैंड होते है। ग्लू बनाने वाली कंपनियां आपके लिए सबसे बेस्ट ग्लू तैयार करने के लिए ऐसे ही चिपचिपे स्टैंड के सही कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल करती है। ये पॉलिमर्स लचीले भी होते है।
चिपकाने के लिए जो ग्लू इस्तेमाल करते हैं, वो बॉटल में अंदर ही क्यों नहीं चिपक जाती?
बॉटल के अंदर बंद ग्लू चिपकता नहीं है। लेकिन बॉटल से बाहर निकालने पर यह चिपकने लगता है। वहीं, अगर कुछ देर के लिए ग्लू का ढक्कन खुला छोड़ दिया जाए तो यह सूखने भी लगता है. इसके पीछे की वजह कोई जादू नहीं बल्कि साइंस है।
किसी चीज को चिपकाने के लिए आप ग्लू का इस्तेमाल तो करते हैं पर क्या कभी सोचा है कि ये बॉटल के अंदर ही क्यों नहीं चिपक जाता? ग्लू में ऐसा क्या होता है कि इसे बॉटल से बाहर निकालकर किसी चीज को चिपकाने से वह चीज चिपक जाती है। लेकिन बॉटल के अंदर कुछ भी नहीं चिपकता? अगर आप भी इस सवाल का जवाब नहीं जानते हैं तो चिंता मत कीजिए। आपके लिए हम इसका जवाब लेकर आए है।
यह कोई जादू नहीं बल्कि साइंस है। अधिकतर लोग जिस सफेद ग्लू का इस्तेमाल करते है। वह केमिकल्स की वेराइटी से तैयार होता है। इन केमिकल्स को पॉलिमर्स कहते है। ये पॉलिमर्स लंबे और चिपचिपे स्ट्रैंड होते हैं. ग्लू बनाने वाली कंपनियां आपके लिए सबसे बेस्ट ग्लू तैयार करने के लिए ऐसे ही चिपचिपे स्टैंड के सही कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल करती है। ये पॉलिमर्स लचीले भी होते है।
सफेद रंग के आने वाले ग्लू में पानी भी होता है। यह पानी एक तरह से सॉल्वेंट का काम करता है। पानी की वजह से ही ये ग्लू तब तक लिक्विड फॉर्म में होता है, जब तक आप इससे कुछ चिपकाते नहीं है।
कैसे कोई चीज ग्लू की मदद से कैसे चिपकती है?
जब आप ग्लू को किसी पेपर पर रखते हैं तो इसका सॉल्वेंट (पानी) हवा में भाप बनकर उड़ जाता है। जैसे ही पानी भाप बनता है। वैसे ही यह ग्लू सूखकर हार्ड हो जाता है। अब ग्लू में केवल चिपचिपे और लचीले पॉलिमर ही बचते हैं. इस प्रकार ग्लू की मदद से आप कोई चीज चिपका पाते है। साइंस में इसे मैकेनिकल एढेशन (Mechanical Adhesion) भी कहते है।
लेकिन ये ग्लू अपने पैक के अंदर ही क्यों नहीं चिपकता है?
जब यह ग्लू बोतल/पैक के अंदर होता है। तब उसमें उतनी हवा नहीं होती कि ग्लू में मौजूद पानी सूखकर भाप बन जाए। आप यह भी कह सकते हैं कि इस पैकिंग की मदद से ग्लू में मौजूद पानी को सूखने से बचाया जाता है। आपने देखा भी होगा कि जब आप कुछ देर के लिए ग्लू के ढक्कन को बंद नहीं करते हैं तो यह सूखने लगता है। लंबे समय तक इसे ऐसे ही खुला छोड़ दिया जाए तो पूरा ग्लू सूख जाता है।
सुपर ग्लू के साथ क्या होता है?
जब आप किसी चीज को जल्दी चिपकाना चाहते हैं तो इसके लिए सुपर ग्लू का इस्तेमाल करते है। सुपरग्लू को एक खास तरह के केमिकल से तैयार किया जाता है। जिसका नाम साइनोएक्रिलेट कहते है। जब यह केमिकल हवा में मौजूदा पानी के कण के संपर्क में आता है तो एक तरह केमिकल रिएक्शन होता है। इसी रिएक्शन की वजह से बॉन्ड बन जाता है। जिससे आप कोई चिपका लेते है। इस प्रोसेस को केमिकल एढेशन कहते है।
यही कारण है किसी भी तरह के ग्लू को सुरक्षित रखने के लिए उसकी पैकिंग पर खास ध्यान देना होता है। इस्तेमाल होने के बाद भी बचे हुए ग्लू को इस तरह से बंद किया जाता है ताकि उसमें हवा ने जा सके।