
SDM बनकर महिलाओं को दिला रहीं सारी सुविधा
रायबरेली – मृदुभाषी, सौम्य स्वभाव मगर सख्त प्रशासनिक कार्यशैली के चलते अंशिका आज रायबरेली शहर के हर आम और खास के बीच लोकप्रिय हैं। महिलाओं से जुड़ी समस्याओं का तत्काल निराकरण उनकी प्राथमिकता है। उनका मानना है कि सशक्त समाज के लिए नारी का सशक्त होना बेहद जरूरी है।
अंशिका के पिता अरुण कुमार दीक्षित साल 2016 में आगरा में एडीएम पद से सेवानिवृत्त हुए और मां ऋतु ग्रहणी हैं। मूल रुप से पड़ोसी जनपद फतेहपुर की रहने वाली अंशिका का कहना है, कि प्रशासनिक सेवा में आने के लिए उन्हें उनके पिता के अनुभवों का लाभ मिला। मगर वह अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां को देती हैं।
उनका मानना है कि आज वह जिस मुकाम पर हैं। अपनी मां की बदौलत हैं। परिवार में उनके अलावा एक छोटी बहन भी है और दोनों में आत्मविश्वास का जज्बा भरने का काम हमेशा से उनकी मां ने ही किया है।
सरकारी सेवा में आने से पहले अंशिका कानपुर के एक निजी संस्थान से बीटेक, आईटी की डिग्री हासिल कर चुकी हैं। साल 2016 में पहली बार बतौर जिला पूर्ति अधिकारी बनकर उनकी रायबरेली में तैनाती हुई । कभी SDO बनकर रही जिला पूर्ति प्रभारी, अब SDM बनकर नारी को दिला रहीं सुविधा सारी। चंद महीने के कार्यकाल में उन्हें सिस्टम की बारीकियों को समझने का अवसर मिला।
पर किस्मत ने उनके लिए कुछ और ही सोच रखा था। जल्द ही पीसीएस परीक्षा का रिजल्ट जारी हुआ और अंशिका का चयन उपजिलाधिकारी के पद पर हो गया। इतेफाक यह रहा कि बतौर एसडीएम भी उनकी पहली तैनाती रायबरेली जिले में हुई। अंशिका कहती हैं, कि सिविल सर्विसेज की तैयारी में कई ऐसे भी अवसर आते हैं जब मनोबल डाउन हो जाता है। पर उनकी मां ने ऐसे अहम मौके पर उनका साथ दिया और उसी का नतीजा है, कि आज वह इस मुकाम पर हैं।
रायबरेली में अंशिका ने अपने विनम्र स्वभाव और बेहतरीन कार्यशैली की बदौलत हर किसी को अपना मुरीद बना लिया है।कोरोना काल के दौरान जरुरतमंदो की हर संभव मदत करने में वह आगे रहीं। यही कारण रहा कि डीएम ने उन्हें कोविड कमांड सेन्टर का प्रभारी भी बनाया।
हाल ही रायबरेली के 98 वर्षीय वयोवृद्ध को सम्मानित और मद करने की तस्वीरे देशभर की मीडिया की सुर्खियों में रही। हरचंदपुर ब्लॉक के निवासी बाबा विजय पाल को जिलाधिकारी कार्यालय तक लेकर आने में और उनको 11 हजार की नकद धनराशि उपलब्ध कराने में अंशिका का अहम किरदार रहा।
अंशिका कहती है कि बुज़ुर्गों के आशीर्वाद से इंसान की तरक्की होती है। उनका प्रयास रहता है, कि सरकार की योजनाएं हर जरुरतमंद की दर तक पहुंचे। महिला सशक्तिकरण पर बेबाकी से अपनी राय रखते हुए अंशिका कहती हैं, कि ट्रेनिंग के दौरान ही उन्हें वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला की अगुवाई में महिला परख योजनाओं का जमीनी अध्ययन करने का अवसर मिला। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में महिला उत्थान से जुड़ी स्कीमों और जेल परिसर में निरुद्ध महिला बंदियों के स्तर में सुधार को लेकर शासन को अवगत कराने में कामयाब रही ।
इन प्रयासों से रायबरेली जनपद में विषम परिस्थितियों से जूझ रही महिलाओं को राहत देने में भी सफल रही। बतौर महिला प्रशासनिक अधिकारी उनका यह मानना है, कि उनके दफ्तर में आने वाले हर फरियादी की शिकायत विनम्रता से सुनने से पीड़ित को बड़ा संबल मिलता है।
वह पहले प्रयास में ही समस्या के निदान पर भी जोर देती हैं। अंशिका का मानना है कि जिले में महिलाओं के प्रति लोगों की सोच भी बदल रही हैं और मिशन शक्ति ने यह साबित किया है कि बेटियां किसी मामले में पीछे नहीं हैं।
				


