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एक असाधारण राजनेता की कहानी लिखी ममता बनर्जी ने
1975 में जेपी का जलवा था लेकिन एक दिन एक सूती साड़ी में सीधी सादी दिखने वाली युवा महिला बड़े आक्रमक ढंग से उनके कार पर चढ़ी औऱ डांस करने लगी और जेपी सहित उनके समर्थक उनके साहस को देखकर दंग रह गए।
ममता बनर्जी की मोदी सरकार पर विजय की कहानी कोई कम नाटकीयए साहसिकए कष्टदायी और ऐतिहासिक नहीं है। ममता बनर्जी की यह अभूतपूर्व जीत हिंदू देवी मॉ मनशा की कहानी जैसी है, जो भगवान शिव की बेटी हैं, जिसे अभिमानी व्यापारी सत्ता के सौदागर ने अपमानित करके मिटाने का प्रयास किया था। लेकिन उस देवी ने अपनी असीम ऊर्जा और शक्ति का उपयोग करके और आखिरकार लोगों को पृथ्वी पर उसकी पूजा करने के लिए मना लिया।
मोदी सरकार के खिलाफ उसकी अथक लड़ाई के बाद ममता बनर्जी के उदय के बाद राजनीतिक पंडितों ने ममता बनर्जी के राष्ट्रीय विकल्प के तौर पर उदय की भविष्यवाणी की है। ममता बनर्जी ने मोदी के खिलाफ गुस्से को वोट, सीटों और एक आक्रोश में बदल दिया है। वो मोदी जैसे ज़मीनी नेता से सीधे लोहा लेने वाली स्ट्रीट फाइटर हैं। वह टैगोर के गीतों को लिखती हैं, गाती हैं, और यह सब बिना किसी छद्म सांस्कृतिक दिखावे के, यही उनकी विशेषता है।
ममता का सफर आसान नहीं था। उन्होंने न केवल अपनी पूर्व पार्टी कांग्रेस या संगठित कम्युनिस्टों से लड़ाई कीए बल्कि घोर दक्षिपंथी निर्दयी और कट्टरपंथी ताकतों से भी उन्हें लड़ना था। वो एक खांटी जमीनी नेता हैं। उन्होंने एक छात्र नेता के रूप में कांग्रेस के साथ अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया और वह भारत के सबसे कम उम्र के सांसदों में से एक बन गई थीं। जिसने कम्युनिस्ट दिग्गज लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी को भी हराया था।
जो लोग उनके पांव में चोट को नाटक कह रहे थे, उन्हें बता दूं कि 1991 में कोलकाता के प्रसिद्ध हाजरा चौराहे पर सीपीएम के एक उपद्रवी के हमले में उनका सिर फ्रैक्चर हो गया था। लेकिन उन्होंने इसके बावजूद लड़ना जारी रखा ममता ने बताया कि सम्प्रदायिक ताकतों को उनके ही अंदाज में जवाब देकर नेस्तनाबूद किया जा सकता है। औऱ यह सब नेशनल लेवल पर भी हो सकता है। बशर्ते सारी राजनीतिक पार्टियां का नेतृत्व जमीन पर आकर लडाई लड़े।
बंगाल में एक शानदार जीत के साथ, ममता बनर्जी ने एक असाधारण राजनेता की कहानी लिखी है। जिसके कभी हार न मानने वाले जज्बे ने उन्हें इस दंभी और अलोकतांत्रिक सरकार के खिलाफ लड़ाई का प्रतीक बना दिया है। मैं हमेशा कहता आया हूँ, इन आसुरी ताकतों का विनाश एक महिला ही करेगी। क्या वो महिला ममता होंगी या कोई और ??? समय और देश इसका जवाब देगा।
अपूर्व भारद्वाज एडमिन, जन विचार संवाद ग्रुप
की फेसबुक वॉल से साभार
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