कारोबार

एंजल टैक्स खत्म करो या कर दो कम, कुछ तो करो रहम, वित्तमंत्रालय से स्टार्टअप्स की मांग

स्टार्टअप इंडस्ट्री ने फाइनेंस मिनिस्ट्री से ​25 करोड़ रुपये की उस लिमिट को खत्म करने या फिर इसे कम करने की पैरवी कर रहा है, जिसके तहत उसे एंजल टैक्स से छूट दी गई है। उद्योग का कहना है कि केवल कुछ फीसदी स्टार्टअप ही इस लिमिट को पूरा करने में सक्षम हो पाएंगे।

केंद्र सरकार सभी बेनिफिशरीज से इनपुट मंगा रहा है और अगले कुछ दिनों में एंजल टैक्स पर डिटेल्ड क्लैरिफिकेशन आने की उम्मीद है। स्टार्टअप्स ने पिछले सप्ताह फाइनेंस मिनिस्ट्री और डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड के साथ एक बैठक में इस मुद्दे को उठाया। इसके अलावा, उन्होंने विदेशी निवेशकों को एंजल टैक्स के दायरे में लाने के कदम पर चिंता व्यक्त की थी।

2019 तक 10 करोड़ थी लिमिट
इनकम टैक्स एक्ट की धारा 56(2)(vii)(बी) के तहत, यदि एक करीबी कंपनी फेयर प्राइस वैल्यू से अधिक कीमत पर शेयर जारी करती है। जिसकी कैलकुलेशन दिए गए मेथड के अनुसार की जाती है। उसके बाद जो अंतर सामने आता है उस पर टीडीएस लगाया जाता है। यह टैक्स तब नहीं लगाया जाता है जब तक यह निवेश 25 करोड़ रुपये से अधिक न हो। इस लिमिट को आखिरी बार 2019 में बदला गया था। उस यह लिमिट 10 करोड़ रुपये थी।

कब तक नहीं लगता है एंजेल टैक्स
ऐसा इसलिए किया गया था ताकि मनी लॉन्ड्रिंग को रोका जा सके। लेकिन इस टैक्स ने स्टार्टअप और एंजल इंवेस्टर को काफी प्रभावित किया है। DPIIT से रजिस्टर्ड स्टार्टअप्स को इस टैक्स के दायरे में तब तक नहीं रखा जाता है जब तक एंजल निवेशकों से फंडिंग सहित कुल निवेश 25 करोड़ रुपये से अधिक न हो।

इंडस्ट्री का तर्क है कि लिमिट बेहद कम है, इनपुट कॉस्ट और सैलरी इंफ्लेशन में इजाफा हुआ है। यह लिमिट डीपीआईआईटी के तहत रजिस्टर्ड स्टार्टअप के लिए काफी बड़ा बैरियर है।

इनकी छूट हो गई खत्म
25 करोड़ रुपये की लिमिट में नॉन-रेजिडेंट्स द्वारा जारी किए गए शेयर, कैटेगिरी I ऑल्टरनेट इंवेस्टमेंट फंड (एआईएफ) के रूप में रजिस्टर्ड वेंचर, स्पेसिफिक कंपनियां शामिल नहीं थी। साल 2023 के फाइनेंस बिल में इस छूट को हटा दिया गया और विदेशी निवेशकों को एंजल टैक्स के दायरे में लाने का प्रस्ताव किया।

जो अब तक केवल भारतीय निवासियों और एआईएफ के रूप में रजिस्टर्ड ना होने वाले फंडों पर लागू होता था। स्टार्टअप इकोसिस्टम और इंवेस्टर्स ने चिंता व्यक्त की है क्योंकि विदेशी निवेश फंडिंग का एक प्रमुख स्रोत बना हुआ है।

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