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आतंक के खात्मे के लिए पुलिस को मिला नया खतरनाक हथियार, कई आधुनिक टेक्नोलॉजी से है लैस

जम्मू-कश्मीर पुलिस के बेड़े में नए हथियार शामिल हो गए है। बता दें 3 ब्लैक पैंथर कमांड व्हीकल को बेड़े में शामिल किया गया है। इसकी जिम्मेदारी जम्मू कश्मीर पुलिस को दी गई है। यह 3 ब्लैक पैंथर कमांड व्हीकल जम्मू संभाग के उधमपुर – रियासी रेंज, पूंछ-राजौरी रेंज और डोडा-किश्तवार रेंज में भेजी जा रही है। आतंकियों का काल बन ये यंत्र काम करें और साथ में लॉ एंड ऑर्डर सिचुएशन के वक्त भी यह ब्लैक पैंथर कमांड व्हीकल का इस्तेमाल किया जा सकता है।

जम्मू कश्मीर पुलिस कश्मीर में आतंक के खिलाफ किस तरीके से काम कर रही है। यह बात किसी से छुपी नहीं है। वही आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन के वक्त अब इनको इन जिलों में यह कमांड व्हीकल काम आएगी। ब्लैक पैंथर कमांड व्हीकल कहने को तो यह गाड़ी बुलेट प्रूफ है लेकिन इसकी खासियत काफी ज्यादा है।14 सीसी टीवी कैमरे के साथ साथ PTZ कैमरे इस गाड़ी में लगे हुए है। जो कि रात के समय भी काम कर सकते है।

गाड़ी आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में करेगी मदद
1/3 किलोमीटर तक यह कैमरे हर एक मोमेंट को पकड़ने की क्षमता रखता है और यह गाड़ी आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में काम में लाई जाएगी। इस गाड़ी में रडार सिस्टम भी लगाया गया है। साथ में इसके टायर पर अगर गोली भी लगती है। तो गाड़ी फिर भी चल सकती है। इस गाड़ी के अंदर पूरा ऑपरेशन मॉनिटर किया जा सकता है साथ में इस गाड़ी में जवानों के लिए रहने की भी सुविधा है 4 से 5 जवान ऑपरेशन के वक्त इस गाड़ी में आराम भी कर सकते है।

फर्स्ट एड किट खाने-पीने की हर एक सुविधा इस गाड़ी के अंदर है। अब जम्मू-कश्मीर पुलिस के बेड़े में यह गाड़ी का शामिल होना जाहिर तौर पर आतंक के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन में काफी मददगार साबित होगी। साथ में पुलिस को कैसे हाईटेक और मॉडर्न इक्विपमेंट से लैस किया जा रहा है उसकी एक मिसाल है यह ब्लैक पैंथर कमांड व्हीकल।

युद्ध के हालात से निपटने के लिए बुनियादी ढांचा तैयार
वहीं लद्दाख में तैनात रह चुके सेना के सेवानिवृत मेजर जनरल जीएस जम्वाल का कहना है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन द्वारा अपनाई जा रही रणनीति का मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है. गलवन से उपजे हालात के बाद चीन को बताना जरूरी है कि हमारी हर तरह से पूरी तैयारी है। सेना सक्षम है, युद्ध अभ्यास हो रहे हैं। वायुसेना के बड़े विमानों को एक साथ नियंत्रण रेखा पर उतारने के ट्रायल हो रहे है। सशस्त्र सेनााओं के बेड़े में आधुनिक हथियार शामिल हो रहे है। युद्ध के हालात से निपटने के लिए तेजी से सड़कें, पुल व बुनियादी ढांचा तैयार हो रहा है।

यह मजबूत देश की मजबूत सेना होने का संदेश हैं। नए पुल व सड़कों से भावी चुनौतियों का सामना करने की तैयारी है। ऐसे में लद्दाख में 19,300 फीट की ऊंचाई पर छिशुमाले से डेमचौक तक बनी 52 किलोमीटर सड़क भी सामरिक दृष्टि से अहम है। यह वैकल्पिक सड़क लेह से सेना के साजो सामान को रणनीतिक रूप से अहम डेमचोक इलाके तक जल्द पहुंचाने के लिए बनाई गई है।

 

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