आइये, आपको घर पर कॅरोना वैक्सीन बनाना सिखाता हूं।
तो पहले बेसिक टेक्निक समझ लीजिये। दही जमाये हैं न घर मे?? कैसे जमाते हैं?? थोड़ा दही खरीदकर, या पडोसी से मांगकर ले आते हैं। इसे जामन, या जोरन कहते हैं। इसे एक किलो दूध में डाल देते हैं। उचित टेम्पेचर पर शाम तक छोड़ दिया, किलो भर दही तैयार।
जामन, याने मदर कल्चर, आप अलग-अलग डेयरी से लाएं, तो हर दही का अलग स्वाद, अलग रंग, अलग क्वालिटी मिलेगी। वैक्सीन का जामन फ़ायजर के पास भी है, एस्ट्राजेनेका, स्पूतनिक और भारत बायोटेक के पास भी। पर वो जामन उनकी इंटेलेक्चुअल प्रोपर्टी है, पेटेंट है।
अदार पूनावाला ऐसे ही जामन, एस्ट्राजेनेका से खरीद लाए। अब दही जमाकर बेच रहे हैं। और परिस्थिति इस तरह की बनाई जा रही है कि हम दही सिर्फ पूनावाला की खरीदें।
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भारत बायोटेक की कोवैक्सीन अधिक इफेक्टिव बताई जाती है। मगर इसका 10ः ही मार्किट है। स्पूतनिक, फ़ायजर को तो अनुमति ही नही दी गयी थी (जो अभी मिली है) सारा भार, सारा बाजार (और आपकी जान) अदार के हवाले किया। जो अज्ञात कारणों से डरकर लंदन भाग गया।
होना तो यह चाहिए था कि सरकार किसी क्रोनी का व्यापार नही, देश का भला देखती। सारी बड़ी दवा और वैक्सीन कम्पनियों को सरकार जामन और दूध उपलब्ध करवाती। सामान्य दिनों के पेटेंट नियम शिथिल करती।
सबको काम पर लगा देती। ज्यादा प्रोड्यूसर तो ज्यादा प्रोडक्शन तो जल्दी वितरण, कम समय में, लाखों जीवन की रक्षा, कम पैनिक, कम लाकडाउन, सामान्य जनजीवन। और जनता को देश के लिए जरा कम त्याग करना पड़ता।
सरकार एडवांस ऑर्डर प्लेस करती, एडवांस पैसे जारी करती, समय सीमा देती और वैक्सीन का प्राइज फिक्स करके, अलग अलग स्टेट को सप्लाई का काम बांट देती। ठीक यही रेमदेसीवीर जैसी दवा के लिए भी होना चाहिये था, जिसका जिसका अभाव भी लोगों की जान ले रहा है।
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ये काम कोई भी सरकार करती। कांग्रेस, भाजपा, सपा, बसपा, वाम.. हर सरकार, क्योकि यह मोस्ट कॉमन सेन्स है। कोई भी आईएएस, कोई भी हेल्थ एक्सपर्ट यही सलाह देता, सरकार मानती।
मगर सिर्फ एक सरकार नही मानती – मोदी जी की सरकार
अम्बाडॉनी की सरकार।
अदार की सरकार।
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आपके घर कोविड ने नही, दवा नीति ने लाश गिराई है।
और सॉरी, घर पर आप वैक्सीन नही बना सकते। आपको अदार का मोहताज रहना है। जब तक वो न बनाये, राम का नाम जपिये।
राम नाम सत्य कहिये।