हॉकी

रियो के खराब प्रदर्शन को भुलकर तोक्यो में यादगार प्रदर्शन करने उतरेगी भारतीय महिला हॉकी टीम

नयी दिल्ली – पुरूष हॉकी टीम की तरह भारतीय महिला हॉकी के पास ओलंपिक में कोई गौरवशाली इतिहास नहीं है। और 36 बरस बाद रियो ओलंपिक में उतरने के बाद एक भी मैच नहीं जीत पाने की टीस वह तोक्यो में यादगार प्रदर्शन के जरिये दूर करना चाहेगी। हालांकि पहले ही कदम पर उसे दुनिया की नंबर एक टीम नीदरलैंड से खेलना है।

लगातार दूसरी बार ओलंपिक में जगह बनाने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम ने पिछले कुछ अर्से में अपने प्रदर्शन से उम्मीद जगाई है। एफआईएच रैंकिंग में दसवें स्थान पर काबिज रानी रामपाल की टीम का पहला लक्ष्य क्वार्टर फाइनल में प्रवेश होगा। कोच शोर्ड मारिने का कहना है। हमने पिछले चार साल में अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन हमें यथार्थवादी लक्ष्य लेकर चलना है। हमारा फोकस इस समय क्वार्टर फाइनल है और उसके बाद कुछ भी संभव है।

मॉस्को ओलंपिक 1980 के 36 साल बाद रियो ओलंपिक खेलने वाली भारतीय टीम पांच में से चार मैच हार गई थी। और उसने 19 गोल गंवाये। एकमात्र ड्रॉ जापान के खिलाफ खेला और पूरे टूर्नामेंट में टीम तीन ही गोल कर सकी। उसके बाद से हालांकि भारतीय टीम ने 2016 चैम्पियंस ट्रॉफी और 2017 एशिया कप जीते, 2018 एशियाई खेलों में रजत पदक जीता और विश्व कप में पहली बार क्वार्टर फाइनल तक पहुंची। इसके साथ ही एफआईएच महिला सीरिज फाइनल्स में जापान को हराकर स्वर्ण पदक जीता।

एफआईएच ओलंपिक क्वालीफायर 2019 में अमेरिका को मात देकर तोक्यो का टिकट कटाया। पूल ए में नीदरलैंड के बाद भारत का सामना तीसरी रैंकिंग वाली जर्मनी (26 जुलाई), पांचवीं रैंकिंग वाली ब्रिटेन (28 जुलाई), आठवें नंबर पर काबिज आयरलैंड (30 जुलाई) और दक्षिण अफ्रीका (31 जुलाई) से होगा। इनमें से दक्षिण अफ्रीका को छोड़कर सभी टीमें रैंकिंग में भारत से ऊपर हैं।

भारतीय टीम ने ओलंपिक से पहले अर्जेंटीना और जर्मनी दौरे पर अच्छा प्रदर्शन किया। भारत के पास अनुभव की कमी नहीं है चूंकि कप्तान रानी रामपाल (241 मैच), वंदना कटारिया (240) दीप ग्रेस इक्का (202) और गोलकीपर सविता पूनिया (202) दो सौ से ज्यादा मैच खेल चुके हैं। टीम में आठ युवा खिलाड़ी भी हैं जिनका यह पहला ओलंपिक होगा।

रानी रामपाल की इस टीम के पास खोने के लिये कुछ नहीं है।कोरोना महामारी के बीच बेंगलुरू में भारतीय खेल प्राधिकरण केंद्र पर लगातार साथ रहकर कड़ी मेहनत करने वाली इस टीम को बखूबी इल्म है कि तोक्यो में कामयाबी के जरिये वे भारतीय महिला हॉकी का नया इतिहास लिख सकतीं हैं और इसमें वे कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगी।

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