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मुख्यमंत्री ने श्री गोरक्षनाथ मन्दिर परिसर में हरिशंकरी के पौधों का रोपण किया

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विश्व पर्यावरण दिवस-2023 के अवसर पर जनपद गोरखपुर के योगीराज बाबा गम्भीरनाथ प्रेक्षागृह में आयोजित ‘रेस फॉर लाइफ : सर्कुलर इकोनॉमी एण्ड लोकल क्लाइमेट एक्शन कॉन्फ्रेंस’ का उद्घाटन किया।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पर्यावरण पृथ्वी, जल, पेड़-पौधों का समन्वित रूप है। आज का दिन हम सबके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हर व्यक्ति कहीं न कहीं पर्यावरण से प्रभावित है। इसे ध्यान में रखकर आज से 51 वर्ष पूर्व सन् 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ में इसकी चिन्ता व्यक्त की गयी थी। आज हम सबके सामने आत्मचिन्तन करने का अवसर है कि इन 51 वर्षों में हमने आर्थिक विकास की जो यात्रा तय की, उसमें हमारा पर्यावरण कहां छूट गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने गांव, शहर, नदी-नालों को प्रदूषित कर पर्यावरण को क्षति पहुंचाई है। जिस जल के बिना जीवन सम्भव नहीं है, उसी जल को प्रदूषित कर दिया। गांव में पहले तालाब का उपयोग होता था, बाद में लोगों ने गांव का पूरा ड्रेनेज तथा सीवर उसी तालाब में डाल दिया। पहले गांव में लोग बीमार नहीं होते थे, आज अनेक प्रकार की जलजनित बीमारियां और वेक्टर जनित बीमारियां हो रही हैं। व्यक्ति की कमाई का बड़ा हिस्सा इन बीमारियों के उपचार में खर्च हो जाता है। बीमारियों की दर बढ़ी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करने का परिणाम क्या होता है, इसके बारे में भारतीय मनीषियों ने मंत्र रचे हैं। उस समय वे प्रकृति और सृष्टि से जुड़ी हुई प्रत्येक वस्तु के कल्याण की बात के साथ-साथ, जल, पृथ्वी और अन्तरिक्ष में शान्ति हो, प्रदूषण न हो, इसके लिए यज्ञ करते थे। जलवायु परिवर्तन का सर्वाधिक दुष्प्रभाव आपने विगत वर्षों में देखा है। विगत वर्ष बाढ़ हर रिकॉर्ड को तोड़ते हुए अक्टूबर माह में आई थी। सूखा तथा अतिवृष्टि के कारण फसलों को व्यापक नुकसान पहुंचा, किसानों की आमदनी पर असर पड़ा और दुनिया के सामने अन्न का संकट खड़ा हो गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली में नवम्बर-दिसम्बर में उद्योग बंद करने पड़ते हैं क्योंकि वायु प्रदूषण बहुत होता है। स्मॉग के कारण लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है, प्रदूषण का असर जलवायु परिवर्तन पर पड़ता है। पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिये प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में इण्टरनेशनल सोलर एलायंस बना है। इस प्रकार की ऊर्जा को अधिक से अधिक प्रोत्साहित किया जाएगा, जो पर्यावरण के अनुकूल हो तथा जिससे कार्बन उत्सर्जन कम से कम हो। विगत 09 वर्षों में प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व मे ऊर्जा के क्षेत्र में हुए कार्य को सभी ने देखा है। ग्राम पंचायतों तथा शहरी क्षेत्रों में एल0ई0डी0 स्ट्रीट लाइट स्थापित हो गई हैं। इसके माध्यम से ऊर्जा की कम खपत हो रही है, जिससे कार्बन उत्सर्जन भी कम हो रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज नगर तथा गांव एक जैसी दूधिया लाइट से चमकते हुए दिखाई दे रहे हैं। यह पता ही नहीं लगता की हम गांव में हैं या शहर में। सरकार ने अपनी पॉलिसी में संशोधन किया। लोगां से सोलर पैनल लगाकर अपने यहां बिजली का उपयोग करने को कहा गया। इससे उनका बिजली का बिल भी कम हो जायेगा और जो अतिरिक्त बिजली उनके सोलर पैनल से उत्पन्न होगी, उसे सरकार खरीद लेगी और इसका मूल्य उन्हें देगी। इस मूल्य को बिजली के बिल से कम कर देगी, जिससे उन्हें दोगुना लाभ मिलेगा। सरकार लोगों को हर स्तर पर प्रोत्साहित करने के लिए इस प्रकार की व्यवस्था बनाने जा रही है। प्रधानमंत्री जी ने गंगा जी में प्रदूषण दूर करने के लिए नमामि गंगे परियोजना बनाई। नमामि गंगे परियोजना के कारण गंगा जी का जल अविरल व स्वच्छ हुआ है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर जल संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए ग्राम पंचायत में अमृत सरोवर स्थापित करने के लिए कार्यक्रम बनाया। ग्राम पंचायतों में स्थित तालाबों का पुनरुद्धार कर उसको वृक्षारोपण से आच्छादित करने का प्रयास किया जाए। तालाबों में गंदा पानी न जाये और बरसात का पानी भी छन कर जाए। इससे जल संरक्षण तथा गांव में जल स्तर ऊपर होगा, जिससे गांव हरा-भरा दिखेगा और बीमारियों से निजात मिलेगी। दुनिया में बहुत से देश ऐसे हैं जहां जल का भीषण संकट है। हर घर नल की योजना को सफल बनाने के लिए आवश्यक है कि हर घर तक शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाए। इसके लिए जल संरक्षण की आदत डालनी पड़ेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक ग्राम पंचायत में अपना खाद का गड्ढा होना चाहिए। गांव का जितना भी कूड़ा निकलता है, उस कूड़े को खाद के गड्ढे में डाला जाए। एक वर्ष के अंदर वह कम्पोस्ट हो जाएगा। उस कम्पोस्ट का ग्राम पंचायत द्वारा उपयोग किया जा सकता है। साथ ही, उसे ग्राम सभा बेच भी सकती है। किसी किसान को दे सकती है, जिससे पुनः कम्पोस्ट तैयार करने के लिए खाद का गड्ढा फिर से उपलब्ध हो जाएगा। छोटे नगर निकायों को भी अपनी व्यवस्था बनानी चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गांव और शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाने का कार्य किया जा रहा है। प्लास्टिक से मुक्ति का मतलब स्वच्छता की अधिक से अधिक समस्या का समाधान। पूर्वी उत्तर प्रदेश में हर वर्ष मस्तिष्क ज्वर बीमारी मासूम बच्चों को निगलती थी। कुपोषण, गंदगी, खुले में शौच, दूषित जल-जमाव ही इसका कारण था। प्रदेश में मस्तिष्क ज्वर की बीमारी से विगत 40 वर्षां में लगभग 50 हजार बच्चों की मौत हुई थी। आने वाले समय में इस प्रकार का संकट न आने पाए, इसके लिए स्वच्छता एवं पर्यावरण के प्रति जागरूक होना हम सभी का दायित्व बनता है। मिशन लाइफ इस अभियान की एक महत्वपूर्ण कड़ी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष प्लास्टिक मुक्त व्यवस्था के लिए मिशन लाइफ अभियान के साथ ‘प्लास्टिक प्रदूषण हेतु समाधान‘ विश्व पर्यावरण दिवस-2023 का थीम वाक्य बनाया गया है। इसमें 06-आर (रिड्यूस, रीयूज, रीसाईकिल, रीफर्बिशमेण्ट, रिकवर एण्ड रिपेयर) को इसके साथ जोड़ा गया है। विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित रेस फॉर लाइफ : सर्कुलर इकोनॉमी एण्ड लोकल क्लाइमेट एक्शन कॉन्फ्रेंस में उपस्थित प्रतिभागियों सहित समस्त ग्राम पंचायतों और सभी नगर निकायों को ऑनलाइन माध्यम से लाइफ प्रतिज्ञा दिलायी गई।

आज प्रधानमंत्री जी ने देश में सिंगल यूज प्लास्टिक को रोकने के लिए कहा है। प्लास्टिक को जब हम फेकते हैं, तो धरती माता के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। प्लास्टिक जब नाली में पड़ता है, तो नाली के पानी को चोक करता है, जल-जमाव होता है, जिससे जल जनित बीमारियां पैदा होती हैं। उन्होंने कहा कि कारण एक बीमारी अनेक हैं। इन सभी बीमारियों का उपचार एक ही है। इसका समाधान है कि हम पर्यावरण अनुकूल अपनी कार्य पद्धति अपनाएं और अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें।

जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में वन महोत्सव कार्यक्रम का संचालन किया जाएगा। प्रदेश सरकार इस वर्ष 35 करोड़ वृक्षारोपण के लक्ष्य को लेकर इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाएगी। मुख्यमंत्री जी ने सभी ग्राम पंचायतों तथा नगर निकायों से अपील की कि प्रदेश की सभी 58,000 ग्राम पंचायतें यह लक्ष्य रखे कि हर ग्राम पंचायत में कम से कम 1000 वृक्ष लगाए जाएं। प्रदेश में 14,000 वॉर्ड और 762 नगर निकाय हैं, इनमें भी वृक्ष लगे, तो 06 करोड़ वृक्षारोपण का कार्य नगर निकाय और ग्राम पंचायत स्वतः ही कर लेंगी। वन विभाग और प्रदेश सरकार के अन्य सभी विभागों द्वारा व्यापक पैमाने पर वृक्ष लगाए जाएं। जो वृक्ष लगाएंगे उसकी रक्षा भी करेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना से जुड़े हुए प्रत्येक लाभार्थी के घर में एक-एक सहजन का पौधा दिया गया है। सभी को अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना है। सभी विद्यालयों मे वृक्षोरापण किया जाए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश 25 करोड़ की आबादी वाला राज्य है। प्रत्येक नागरिक एक वृक्ष लगाएगा, तो 25 करोड़ वृक्षारोपण होगा। ग्राम पंचायतें, नगर निकाय, वन विभाग सहित अन्य सभी विभाग मिलकर वृक्षारोपण कार्यक्रम को आगे बढ़ाएंगे, तो 35 करोड़ के लक्ष्य को प्राप्त करना कोई चुनौती नहीं है, इसे बहुत आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।

पर्यावरण अनुकूल आचरण आज की सबसे बड़ी आवश्कता है। खेल के मैदान के चारों तरफ वृक्षारोपण किया जाए। पीपल, बरगद, देशी जामुन, देशी आम, नीम जैसे परम्परागत वृक्ष, जिन्हें कभी दैवीय वृक्ष मानते थे, को व्यापक पैमाने पर लगाया जाएगा, तो इसका व्यापक लाभ दिखायी देगा।

इसके पूर्व, मुख्यमंत्री जी ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर श्री गोरक्षनाथ मन्दिर परिसर में हरिशंकरी के पौधों का रोपण किया।
कार्यक्रम को मत्स्य मंत्री श्री संजय निषाद, वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री अरुण कुमार सक्सेना तथा मुख्य सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्र ने भी सम्बोधित किया।

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री जी ने वन विभाग, वन निगम, नगर निगम एवं नमामि गंगे विभागों के स्टॉलां का अवलोकन किया। उन्होंने प्लास्टिक प्रबन्धन पर आधारित पुस्तक ‘उत्तर प्रदेश में विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व’ (ई0पी0आर0) के माध्यम से प्लास्टिक प्रबन्धन हेतु परामर्शिका का विमोचन किया।
इस अवसर पर जनप्रतिनिधिगण तथा अपर मुख्य सचिव वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन श्री मनोज सिंह, प्रमुख सचिव नगर विकास श्री अमृत अभिजात सहित शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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