पंचतंत्र के बेकार का पचड़ा भाग-8 में आपने पढ़ा कि ……..
दमनक ने अब हंसते हुए कहा, एक बात याद रखो। जो सेवक सोचता है कि राजा (King) को रिझा लिया, अब किसी की चिंता नहीं, वह कभी भी धोखा खा सकता है। राजा (King) की मां, उसकी पत्नी, उसके पुत्र, मुख्यमंत्री, राजपुरोहित और द्वारपाल को भी राजा की तरह ही सम्मान देना चाहिए।
अब इससे आगे पढ़िए, भाग-9…………
यदि राजा (King) आज्ञा दे तो गुमसुम वहां से चल नहीं देना चाहिए, यह दिखाना चाहिए कि इस सेवा के लिए चुन कर राजा (King) ने उस पर कृपा की है। महाराज को दुआएं देते हुए उस काम पर जी जान से जुट जाना चाहिए और जो कुछ करने को कहा गया है उसे कर दिखाना चाहिए।
ऐसा करने वाला सेवक ही राजा (King) का प्रिय हो सकता है। राजा (King) जो छोटी-छोटी कोई भी चीज दे उसे माथे लेते हुए यह जताना चाहिए कि जो कुछ मिला है उसके लिए वही अनमोल है। उसे राजा (King) द्वारा दिए वस्त्र को पहन कर यह भी दिखाना चाहिए कि उसे उसने तुच्छ मान कर फेंक नहीं दिया या किसी दूसरे को दे नहीं दिया।