दुनिया का सबसे बड़ा लॉकडाउन
कहा जाता है कि किसी क्षेत्र में बड़ी संख्या में मामलों के संक्रमण के श्रोत का पता नहीं लगाया जा सकता है। यह भी पाया गया है कि व्यक्ति बगैर किसी विदेशी के सम्पर्क में आये भी संक्रमित पाया गया है।
परीक्षण से भारतीय अधिकारियों को कोरोनावायरस के अनुगमन का भी पता चलेगा। कांग ने एक वेब कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि यह मॉडल को बेहतर ढंग से सूचित करेगा और हमें ऐसी भविष्यवाणियां करने की अनुमति देगा, जहां हमें मजबूत प्रतिक्रियाओं पर जोर देने की जरूरत है।
लेकिन भारत अब तक दुनिया में कोरोनावायरस के लिए किये गये परीक्षण के मुकाबले सबसे कम संख्या पर है। क्या भारत में परीक्षण क्षमता की कमी है? आखिरकार देश को अधिक परीक्षण से क्यों रोका जा रहा है। इसके भी कईएक कारक हैं।
कई राज्य सरकारों, तीन सरकारी प्रयोगशालाओं, एक निजी प्रयोगशाला, एवं कई स्वतंत्र माइक्रोबायोलॉजिस्ट और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अधिकारियों से मिली जानकारी से यह निष्कर्ष निकलकर आया है कि देश की परीक्षण क्षमता कई कारकों पर निर्भर करती है। परीक्षण किट, प्रयोगशाला की तैयारी और मानव संसाधन की उपलब्धता। फिर भी कुछ भारतीय राज्य तुलनात्मक संसाधनों के साथ दूसरों की तुलना में अधिक परीक्षण करने में सफल रहे हैं।