प्रोफाइल देखकर ग्राहक क्या करेगा। उसके हाथ में उन्हें रिजर्व बैंक का गर्वनर बनाना तो है नहीं। क्या मजाक है कि ज्यादातर सरकारी वेबसाइट्स से डायरेक्ट्री कैटेगरी ही गायब है। यही हाल इन बैंकों के माईबाप कहे जाने वाले रिजर्व बैंक आॅफ इण्डिया का है। ना तो आपको गर्वनर का नंo और ईमेल आईडी मिलेगी ना ही नीचे के डिप्टी गर्वनर का।
किसी नीचे के लेवल के आफीसर से अगर आपकी बात हो भी गई तो उसका कहना होता है कि भाई हम क्या कर सकते हैं। इसे हम तो देखते नहीं। आप डायरेक्टर, इनफारमेशन टेक्नोलॉजी से बात कीजिए। ये सारे काम उन्हीं के हैं।
इंटरनेट बैंकिंग काम नहीं कर रही है, किसी से क्या लेना देना। इन बैंकों को ग्राहक चाहिए विजय माल्या जैसे जिनको हजारों करोड़ के लोन देकर उसका अच्छा खासा हिस्सा अपने पास रखा जाये, और मौज की जाये। इन बेवकूफ डफर ग्राहकों के लिए हम बैंक के सीएमडी थोड़े ही बने हैैं। शायद ऐसा सोचना है कार्पोरेशन बैंक के सीएमडी गर्ग का।
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