पढ़ने और सीखने की कोई उम्र नहीं होती है: उपराष्ट्रपति
रांची। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने आज यहां कहा कि पढ़ने और सीखने की कोई उम्र नहीं होती है और यह उन्होंने स्वयं अपने अनुभव से जाना है क्योंकि बचपन में हिन्दी नहीं पढ़ पाने के बावजूद उन्होंने बड़ा होकर हिन्दी पढ़ी जिसका उन्हें आज भी लाभ हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर यहां आयोजित कार्यक्रम के दौरान ग्रामीण महिलाओं के सवाल के जवाब में उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने आज यह बात कही।
उन्होंने बुजुर्ग लोगों को साक्षर बनाने का आह्वान करते हुए कहा, ‘‘शिक्षा अथवा सीखने की कोई उम्र सीमा नहीं होती है। किसी भी उम्र में शिक्षा या साक्षरता प्राप्त की जा सकती है।’’ नायडु ने कहा, ‘‘मैंने बचपन में हिन्दी नहीं पढ़ी। बाद में जब दिल्ली पहुंचा तब समझ में आया कि हिन्दी के बिना काम नहीं चलेगा। बड़ी उम्र में ही हिन्दी सीखना प्रारंभ किया जिसके चलते आज मैं हिन्दी सीख सका और आप सभी लोगों से हिन्दी में बातचीत कर पा रहा हूं।
उन्होंने कहा कि शिक्षा और साक्षरता के लिए देश में सभी को प्रयास करना चाहिए क्योंकि गरीबी से लड़ने के लिए, भ्रष्टाचार दूर करने के लिए और देश के समग्र विकास के लिए सभी का शिक्षित होना अनिवार्य है। लोहरदगा निवासी विमला उरांव ने उपराष्ट्रपति से पूछा कि मैं साक्षर तो हो गई हूं लेकिन इस साक्षरता का उपयोग क्या है, इस पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि आप का एक उपराष्ट्रपति से खुल कर सवाल पूछना ही आपके साक्षर होने की सार्थकता को प्रमाणित करता है। उन्होंने कहा, ‘‘इतने लोगों के सामने आपनेसवाल किया। यही साक्षर होने की उपयोगिता है।
हजारीबाग की रीना देवी ने पूछा कि हम साक्षर तो हैं अब इस शिक्षा का उपयोग कहां करें? इस सवाल के जवाब में उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश और राज्य में महिलाओं के लिये कई योजनाएं संचालित हैं। आप कौशल विकास का प्रशिक्षण लेकर स्वरोजगार अपना सकती हैं। मुद्रा योजना और स्टार्टअप योजना का लाभ लेकर अपना व्यवसाय प्रारम्भ कर सकती हैं। स्वयंसेवी संस्था से जुड़ने से भी आपको लाभ होगा।बोकारो की सुधा देवी ने उपराष्ट्रपति से जानना चाहा कि हवाई जहाज से देखने पर उन्हें झारखंड कैसा दिखा?नायडु ने कहा कि हवाई जहाज से झारखंड को देखना अपने आप में आनंदित करने वाला है। यहां की हरियाली अद्भुत है। नदी, जंगल, पहाड़ को देख झारखंड नामसही प्रतीत होता है। झारखंड को प्रकृति का अनुपम उपहार मिला है।
हजारीबाग की सुनीता देवी ने उपराष्ट्रपति से जानना चाहा कि देश या राज्य के विकास में गांव की क्या भूमिका हो सकती है? इस सवाल के जवाब में उपराष्ट्रपति ने कहा कि गांव का विकास होगा तभी देश और राज्य का विकास संभव है। सरकार की योजनाएं हैं जिसका लाभ लेकर ग्रामीणों को अपने गांव को साक्षर और शिक्षित करना होगा। हजारीबाग की ही यशोदा देवी ने पूछा कि ग्रामीण इलाकों में जो स्वयं सहायता समूह गठित हैं उसके लिए आप को क्या कहना? इस पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि समूह में बड़ी शक्ति होती है आप लोग स्वयं सहायता समूह के जरिए बैंक से लोन लेकर व्यवसाय कर सकती हैं जिससे आप खुद तो समृद्ध बनेंगे ही देश और राज्य भी समृद्ध बनेगा। इस एकजुटता का लाभ उन्होंने दक्षिण भारत में पहले से देखा है।