
आउटर पर खड़ी हो जाती है ट्रेन, काॅलेज पहुंचते हैं लेट, छात्रों ने बयां किया दर्द, बोले- पड़ती है डांट
दूर से आ रहे यात्री हों या फिर आसपास के जिलों से लखनऊ विवि और डिग्री-इंटर कालेजों में पढ़ने के लिए आने वाले विद्यार्थी, परेशान हैं। मेमू और पैसेंजर ट्रेन से सफर करने वाले स्टूडेंटस की परेशानी की वजह इन ट्रेनों को काफी देर तक आउटर पर रोका जाना है। इससे वह समय से काॅलेज नहीं पहुंच पाते और लेट हो जाते हैं। अक्सर पीरियड छूट जाता है। शिक्षकों की डांट अलग से पड़ती है। ट्रेनों की लेटलतीफी से परेशान शिक्षा ग्रहण करने आए विद्याथिर्यों ने अपना दर्द ‘अमृत विचार’ संवाददाता वीरेंद्र पांडेय से बयां किया। विद्यार्थियों की मांग है कि काॅलेज टाइम पर आउटर पर ट्रेनों को न रोका जाए। अपरिहार्य स्थिति पर ही कुछ मिनट के लिए रेलगाड़ी रोकी जाए।
चारबाग स्टेशन प्लेटफार्म के एस्केलेटर तत्काल कराए जाएं शुरू
स्टूडेंटस ने रेल प्रशासन से मांग की है कि आउटर पर ट्रेनों की गति ज्यादा देर तक न रुकने पाए। यही नहीं लोकल चलने वाली ट्रेनों को भी हाईटेक किया जाए। प्लेटफार्म पर खराब पड़े एस्केलेटर को भी तत्काल दुरुस्त कराने की बात रखी। कहा कि ‘मुस्कराइए आप लखनऊ में हैं’ यह स्लोगन बाहर से आने वाले लोगों के समक्ष गलत तस्वीर पेश करती है।
दरअसल, उन्नाव की तरफ से रोज भारी संख्या में छात्र-छात्राएं पढ़ने के लिए राजधानी आते हैं। इनमें हाईस्कूल से लेकर कॉलेज में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स होते हैं। यह मेमू और पैसेंजर ट्रेन से सफर करते हैं, लेकिन अक्सर मेमू व पैसेंजर ट्रेन से अपने कॉलेज पहुंचने में देर हो जाती है। जिससे छात्रों को स्कूल व कालेज में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। शुक्रवार को राजधानी के चारबाग स्टेशन पहुंचे कई छात्र-छात्राओं ने अपना दर्द साझा किया। पेश है उनकी बातचीत
नैनसी कश्यप ने बताया कि वह बीए फस्ट ईयर की पढ़ाई कर रही हैं, जिसके कारण उन्हें रोजाना लखनऊ आना होता है, कानपुर से सुबह 6:55 पर मेमू ट्रेन से चलती हैं। समय पर ट्रेन चलने के बाद भी चारबाग रेलवे स्टेशन से पहले उसे अक्सर रोक दिया जाता है, कई बार तो इस ट्रेन को एक-एक घंटे खड़ी कर देते हैं, जिससे कॉलेज पहुंचने में देर होती है और डांट सुननी पड़ती है।
शुभी सिंह ने बताया कि वह बीएससी की पढ़ाई कर रही हैं यहां पर पहले एस्केलेटर लगा हुआ था, लेकिन बाद में उसे निकाल दिया गया। इसका सबसे बड़ा फायदा बुजुर्गों और भारी सामान लेकर चलने वाले यात्रियों को मिलता था। वह आज के समय में स्टेशन पर रखा हुआ है। साथ ही उन्होंने सप्लाई के पानी को लेकर भी सवाल उठाया है।
-जया का कहना है कि वह लखनऊ में पढ़ने के लिए आती हैं, उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में चारबाग रेलवे स्टेशन पर कई सुविधाओं में इजाफा भी हुआ है, साफ-सफाई व्यवस्था भी अच्छी हुई है, लेकिन अक्सर यहां बैठने के लिए बेंच नहीं मिलती है और जिस जगह पर बेंच खाली रहती है वहां टीन शेड नहीं है। इसलिए बहुत से लोगों को जमीन में ही बैठना पड़ता है।
-सौम्या रावत कहती हैं कि चारबाग रेलवे स्टेशन समेत देश में रेलवे ने कई सुविधाएं बढ़ाई हैं। वंदे भारत जैसी सुविधाओं वाली ट्रेनें चलाई जा रही हैं। ऐसे में लोकल ट्रेन के संचालन पर भी ध्यान देना चाहिए, उन्हें भी हाईटेक बनाना चाहिए। जिससे समय न बर्बाद हो, क्योंकि समय सबका कीमती है। हमलोगों को अक्सर ट्रेन के चक्कर में देरी होती है।
-छात्र निशांत पटेल ने बताया कि वह हरौनी स्टेशन से रोजाना लखनऊ आते हैं। ट्रेनों के देरी से पहुंचने के कारण वह कई बार दिन के 11 बजे स्कूल पहुंचते हैं, जिससे उनकी पढ़ाई तो खराब होती ही है, स्कूल में डांट भी सुननी पड़ती है। अक्सर अनुपस्थित होना पड़ जाता है। इस ओर रेल प्रशासन को देखना ही नहीं चाहिए इसका हल भी ढूंढना चाहिए।