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मुख्य सचिव ने सचिवालय सेवा से सेवानिवृत्त होने वाले 23 कार्मिकों को उनके सेवानैवृत्तिक लाभों से सम्बन्धित आदेशों का वितरण और स्मृति चिन्ह भेंट किया
लखनऊ। मुख्य सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्र ने उ0प्र0 सचिवालय सेवा से सेवानिवृत्त होने वाले 23 कार्मिकों को उनके सेवानैवृत्तिक लाभों से सम्बन्धित आदेशों का वितरण और स्मृति चिन्ह भेंट किया।
अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने सेवानिवृत्त होने वाले सचिवालय कर्मियों को स्वस्थ व सुखद भविष्य की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि जिसका आरंभ होता है, उसका अंत भी निश्चित है। एक तरफ एक सेवा खत्म हो रही है, दूसरी तरफ नई सेवा का आरंभ हो रहा है।
सेवानिवृत्त का मतलब आलस्य नहीं, बल्कि देश और समाज के लिए नई ऊर्जा के साथ कार्य करते रहना है। सेवानिवृत्त होने के उपरान्त आप स्वच्छंद हैं, आप कुछ भी कर सकते हैं और जीवन की सार्थकता को साबित कर सकते हैं।
उन्होंने कालीदास की पंक्ति “क्षणे – क्षणे यन्नवतामुपैति तदेव रूपं रमणीयतायाः” का जिक्र करते हुये कहा कि परिवर्तनशील जगत में हर क्षण परिवर्तन होता है और उन क्षणों में रमणीयता है। अतः हमें अपने जीवन में होने वाले परिवर्तन में रम जाना चाहिये। जीवन में आगे क्या कार्य करना है, इसके लिये अवश्य सोचना चाहिये। स्वस्थ रहने के लिये कर्मयोगी बने। अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें।
उन्होंने सनातन धर्म के चारों आश्रमों-ब्रहमचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और सन्यास के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गृहस्थ आश्रम 50 वर्ष में व्यक्ति के जीवन का वह भाग है, जिसपर उसकी, उसके परिवार की, समाज की और राष्ट्र की उन्नति निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि आज हमारा देश बदल रहा है, इसमें आप लोगों का योगदान और सहयोग की जरुरत है। व्यक्ति अपनी बौद्धिक क्षमता से आगे बढ़ सकता है और पीछे भी जा सकता है।
सेवानिवृत्त सचिवालय कार्मिकों में 03 संयुक्त सचिव, 01 उप सचिव, 02 निजी सचिव 03 अनुसचिव, 04 अनुभाग अधिकारी, 03 समीक्षा अधिकारी, 01 सहायक समीक्षा अधिकारी, 01 ड्राइवर, 01 दफ्तरी एवं 04 अनुसेवक शामिल है।
इस अवसर पर सचिवालय प्रशासन के अन्य अधिकारीगण, सेवानिवृत्त कार्मिकों के परिजन आदि उपस्थित थे।