योगी मंत्रिमंडल से स्वतंत्रदेव सिंह या मोहसिन रजा की होगी छुट्टी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानपरिषद की चार सीटों के लिए चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद उप्र की सियासत में पावर गेम शुरू हो गया है। भाजपा के पास इतनी संख्या है कि वह चारों सीटों पर अपने उम्मीदवारों को जितवा सकती है लेकिन भाजपा सूत्र बता रहे हैं कि किसी एक मंत्री का पत्ता साफ होना लगभग तय है। इन चार सीटों पर बीजेपी की दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही है लेकिन योगी सरकार पर नजर डालें तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दोनों उपमुख्यमंत्रियों सहित कुल पांच मंत्री इन चार सीटों के दावेदार दिखाई दे रहे हैं।
जिन चार विधानपरिषद सीटों के लिए 15 सितंबर को मतदान होगा, उनमें बुक्कल नवाब, यशवंत, डॉ. सरोजिनी अग्रवाल, अशोक बाजपेयी के इस्तीफे से खाली हुई सीटें शामिल हैं। ये चारों सपा के नेता अब भाजपा का दामन थाम चुके हैं। योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य सांसद हैं। वहीं उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा, स्वतंत्र देव और मोहसिन रजा किसी भी सदन का हिस्सा नहीं है।
सरकार ने डॉ. दिनेश शर्मा को विधान परिषद में नेता बनाकर उनके इस सीट को लेकर दावेदारी पहले ही मजबूत कर दी है। वहीं केशव मौर्य को लेकर यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि उन्हें केंद्र में भेजा जा सकता है। लेकिन पिछले दिनों ही उन्होंने खुद इस खबर का खंडन कर दिया था। केशव इस समय प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं।
गौरतलब है कि 19 सितंबर को सरकार के गठन को छह महीने पूरे हो जाएंगे। इन सभी नेताओं को किसी न किसी सदन का हिस्सा होना जरूरी है। भाजपा सूत्रों के मुताबिक, स्वतंत्र देव और मोहसिन रजा में से किसी एक का पत्ता साफ होने की उम्मीद है। कयास लग रहे हैं कि केशव मौर्य उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे सकते हैं और सांसद के तौर पर प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर जिम्मेदारी निभा सकते हैं। बड़ा सवाल यह है कि आखिर मंत्रिमंडल से किसकी छुट्टी होगी।
325 विधायकों वाली प्रचंड बहुमत हासिल करने वाली भाजपा ने 19 मार्च को जब सरकार बनाई तो शपथ लेने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व डॉ. दिनेश शर्मा, परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वतंत्र देव सिंह और राज्यमंत्री मोहसिन रजा विधानमंडल के किसी सदन के सदस्य नहीं थे। अब इन सबको सरकार में रहने के लिए सदन का सदस्य होना जरूरी है।
अधिसूचना जारी होने के बाद जानकारों का कहना है कि अब अगर विधान परिषद का कोई सदस्य इस्तीफा भी देगा तो निर्धारित अवधि से पहले उपचुनाव की अधिसूचना नहीं हो सकती है। अभी तो कानपुर देहात की सिकंदरा विधानसभा सीट विधायक मथुरा पाल के निधन से रिक्त है लेकिन उसके उपचुनाव की अधिसूचना के लिए भी समय नहीं बचा है। ऐसे में सवाल लाजिमी है कि आखिर विधान परिषद की रिक्त चार सीटों पर किसका समायोजन होगा।
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने हमेशा चौंकाने वाले फैसले किए हैं। संभव है कि 29 अगस्त से पांच सितंबर तक नामांकन करने की अवधि में वह कोई चौंकाने वाला ही फैसला कर दे लेकिन, चार सीटों पर रिक्तियों के बाद कयासों का दौर शुरू हो गया है। चर्चा तेज है कि या तो स्वतंत्र देव को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है या फिर शिकायतों के चलते मोहसिन रजा की मंत्रिमंडल से छुट्टी की जा सकती है।