रामचंद्र छत्रपति: वह पत्रकार जिसने बाबा राम रहीम की चूलें हिला दीं
नई दिल्ली। डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को आज सीबीआई अदालत सजा सुनाने जा रही है लेकिन जिस पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की मीडिया में चर्चा हो रही है, उनके बारे में लोगों को यह बहुत कम पता है कि इन्हीं रामचंद्र ने सबसे पहले गुरमीत के खिलाफ तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को लिखी पीड़ित साध्वी की चिट्ठी छापी थी। पंचकुला की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम को रेप केस में दोषी क़रार दिया है। साल 2002 में इस रेप केस की जानकारी पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने पहली बार दी थी।
सिरसा मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर दडबी गांव के रहने वाले रामचंद्र छत्रपति सिरसा जिले से एक सांध्य दैनिक ‘‘पूरा सच’’ का प्रकाशन करते थे। छत्रपति के साथ काम करने वाले वरिष्ठ पत्रकार युसूफ किरमानी ने इस मामले की बारीकियां भाषा के साथ साझा करते हुए बताया कि छत्रपति दिल्ली और चंडीगढ़ से से प्रकाशित कई समाचारपत्रों के लिए फ्रीलांसिंग का काम करते थे– जब यह चिट्ठी उनके हाथ लगी तो उन्होंने इन सभी समाचार पत्रों को यह चिट्ठी समाचार के रूप में छापने के लिए भेजी थी लेकिन किसी अखबार ने इसे नहीं छापा– उसके बाद ही उन्होंने इसे अपने सांध्य दैनिक ‘‘पूरा सच’’ में छापने का फैसला किया।
किरमानी ने बताया कि न केवल छत्रपति ने चिट्ठी छापी बल्कि उस पर कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए पीड़ित साध्वी से इस पत्र को प्रधानमंत्री, सीबीआई और अदालतों को भेजने को कहा। उन्होंने उस चिट्ठी को 30 मई 2002 के अंक में छापा था जिसके बाद उनको जान से मारने की धमकियां दी गईं। उसी साल 24 सितंबर 2002 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले की जांच के आदेश दिए। इस बीच छत्रपति को जान से मारने की धमकियां मिलती रहीं।
किरमानी याद करते हैं कि वह 24 अक्टूबर का दिन था। छत्रपति शाम को आफिस से लौटे थे। उस समय उनकी गली में कुछ काम चल रहा था और वह उसी को देखने के लिए घर से बाहर निकले थे। उसी समय दो लोगों ने उन्हें आवाज देकर बुलाया और गोली मार दी। 21 नवंबर को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में उनकी मौत हो गई। इसके बाद उनके बेटे अंशुल छत्रपति ने कोर्ट में याचिका दायर कर अपने पिता की मौत की सीबीआई जांच की मांग की। जनवरी 2003 में अंशुल ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में सीबीआई जांच करवाने के लिए याचिका दायर की, जिस पर हाईकोर्ट ने नवंबर 2003 में सीबीआई जांच के आदेश दिए।
अपने पैतृक गांव दडबी में खेती किसानी करने वाला अंशुल अपनी मां कुलवंत कौर, छोटे भाई अरिदमन और बहन श्रेष्ठी के साथ अपने पिता को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ रहा है। ‘‘पूरा सच’’ आज भी प्रकाशित हो रहा है लेकिन नियमित रूप से नहीं।