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Punjab & Haryana High Court ने लगाई फटकार

Punjab & Haryana High Court ने मनोहर लाल खट्टर सरकार को उचित ही फटकार लगाई।

हरियाणा में देश को दहशत में डालने वाली भयावह हिंसा के लिए हरियाणा सरकार ही दोषी है।

Punjab & Haryana High Court की टिप्पणी हरियाणा सरकार की पोल खोलने और उसे शर्मसार करने वाली है।

Punjab & Haryana High Court ने कहा है कि आपने राजनीतिक फायदे के लिए डेरा समर्थकों के सामने समर्पण कर दिया।

ऐसी सख्त टिप्पणी के लिए हरियाणा सरकार अपने अलावा अन्य किसी को दोष इसलिए नहीं दे सकती।

क्योंकि यह सबके सामने आ चुका है कि उसने भीड़ जमा होने से रोकने के लिए धारा 144 लगाने का दिखावा किया।

समझना कठिन है कि मुख्यमंत्री ने अपनी जिम्मेदारी का अहसास करने के बजाय अजीब बयान दे दिया।

डेरा समर्थकों के बीच असामाजिक तत्वों ने घुसकर उत्पात मचाया?

आखिर वह इतनी जल्दी कैसे जान गए कि हिंसा फैलाने वालों में डेरा समर्थक नहीं, बल्कि कथित तौर पर उनके बीच घुस गए उपद्रवी तत्व थे?

ऐसे बयानों से तो यही लगता है कि हरियाणा सरकार यह मान बैठी थी कि बाबा गुरमीत अपने भक्तों को शांत रखने में उसकी मदद करेंगे या फिर सीबीआइ अदालत का फैसला बाबा के खिलाफ नहीं जाएगा।

शायद इसी कारण समय रहते सख्त कदम उठाने से इन्कार किया गया।

अब इसमें दोराय नहीं कि हरियाणा सरकार को मुगालते में रहना बहुत भारी पड़ा।

अगर कोई सरकार बार-बार अराजकता के आगे असहाय दिखे तो फिर वह अपनी प्रतिष्ठा की रक्षा नहीं कर सकती।
हरियाणा सरकार जिम्मेदारी के साथ जवाबदेही का भी परिचय देने में विफल साबित हुई है।

चूंकि इस विफलता के दुष्परिणाम केवल हरियाणा तक सीमित नहीं रहने वाले इसलिए भाजपा नेतृत्व को अपनी रीति-नीति पर नए सिरे से विचार करना होगा।

उसे ऐसे तत्वों से अपनी दूरी बनानी ही होगी जो समाज सेवा या फिर मानव सेवा के नाम पर मनमानी करते हैं।

ऐसे तत्वों के प्रति नरम-मुलायम दिखने या फिर उनसे निकटता दर्शाकर राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश में सुशासन की दिशा में आगे नहीं बढ़ा जा सकता।

क्या इससे खराब बात और कोई हो सकती है कि साध्वियों से दुष्कर्म के आरोप में दोषी पाए गए बाबा गुरमीत के समर्थन में पार्टी के कुचर्चित सांसद साक्षी महाराज ने बेतुका बयान दिया।

भाजपा ने हमेशा की तरह यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि यह तो उनका निजी बयान है।

यह काम कितनी बार और कब तक किया जाता रहेगा? क्या नए भारत के सपने को साकार करने में ऐसे गैर जिम्मेदार नेता कहीं से भी सहायक बन रहे हैैं?

आखिर भाजपा साक्षी महाराज सरीखे अपने बेलगाम नेताओं को कब तक बर्दाश्त करती रहेगी?

हर कोई जानना चाहेगा कि ऐसे नेताओं का बार-बार बचाव करने की मजबूरी क्यों?

समय पर सही कदम उठाकर हरियाणा को केवल अराजकता की आग से बचाया ही नहीं जाया जा सकता था

बल्कि इसका श्रेय भी लिया जा सकता था कि आखिरकार हमारे शासन में ही बाबा को उनके किए की सजा मिल सकी।

यह एक तथ्य है कि जिस मामले में गुरमीत को दोषी पाया गया उसकी जांच की पहल वाजपेयी सरकार के समय हुई और इस मसले की सुनवाई ने भी मोदी और खट्टर सरकार के समय ही गति पकड़ी।

Punjab & Haryana High Court ने

जांच का फैसला देकर यह सिद्ध कर दिया कि सरकारों ने कुछ नहीं किया।

अच्छा होगा कि खट्टर सरकार को लगी फटकार पर भाजपा सही से चिंतन-मनन करती ?

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