हमारा वनवासी समाज देश की अतीत की परम्पराओं का वाहक: मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा हमारा वनवासी समाज देश की अतीत की परम्पराओं का वाहक है। धरती को माता मानकर ‘माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः।‘ के दिव्य भाव के साथ वनवासी आज भी भारत की अरण्य संस्कृति को लेकर चल रहे हैं। साथ ही, इसके माध्यम से वैश्विक समुदाय को एक नया संदेश भी देते हैं
कि अगर प्रकृति और परमात्मा के बीच समन्वय नहीं होगा, तो प्रलय अवश्य आएगी। वर्तमान प्रकृति में विभिन्न प्रकार की विकृतियां देखने को मिल रही हैं। ग्लोबल वाॅर्मिंग, कोल्ड वेव, अतिवृष्टि, अनावृष्टि का सामना पूरी जीव सृष्टि कर रही है। इससे बचने के लिए हमें भारत की वन्य परम्परा के साथ जुड़ना होगा। अरण्य संस्कृति को पुनर्जीवित व पुनस्र्थापित करना होगा।
मुख्यमंत्री ने आज यहां बिन्दौवा, मोहनलाल गंज स्थित सेवा समर्पण संस्थान के आश्रम परिसर में एकलव्य वनवासी छात्रावास भवन का लोकार्पण तथा सांरग धनुर्विद्या प्रशिक्षण केन्द्र का शिलान्यास करने के बाद आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे।
ज्ञातव्य है कि वनवासी छात्रों के लिए एकलव्य वनवासी छात्रावास भवन का निर्माण हिन्दुस्तान पेट्रोलियम काॅरपोरेशन लिमिटेड (एच0पी0सी0एल0) की सी0एस0आर0 फण्ड से किया गया है। सांरग धनुर्विद्या प्रशिक्षण केन्द्र का निर्माण हुडको द्वारा कराया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सी0एस0आर0 निधि का बेहतर उपयोग कैसे उपयोग हो सकता है, यह अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के प्रकल्प सेवा समर्पण संस्थान के इस लोकार्पण कार्यक्रम के माध्यम से देखने को मिला है।
हुडको द्वारा यहां वनवासियों की परम्परागत विधा व उनकी प्रतिभा को उजागर करने के लिए आॅर्चरी का एक माॅडल सेण्टर बनाया जा रहा है। इससे अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम से जुड़े बच्चों के साथ-साथ लखनऊ के बच्चों को आॅर्चरी जानने, सीखने तथा अपनी प्रतिभा को देश व दुनिया के सामने प्रस्तुत करने का अवसर प्राप्त होगा।