विविध

नर्मदा बचाओ आंदोलनः सरोवर बांध के उद्घाटन के फैसले का विरोध किया

नई दिल्ली। नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने सरदार सरोवर बांध के उद्घाटन के केंद्र सरकार के फैसले का विरोध करते हुए बांध के कारण प्रभावित करीब चालीस हजार परिवारों का पुनर्वास किए बिना बांध के दरवाजे बंद किए जाने की निंदा की। इस मुद्दे को लेकर उन्होंने जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के सामने आज विरोध प्रदर्शन किया।

नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन के बाद मंत्रालय को एक ज्ञापन भी सौंपा। हालांकि कार्यकर्ताओं की संबंधित मंत्री नितिन जयराम गडकरी से मुलाकात नहीं हो सकी। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 17 सितंबर को सरदार सरोवर बांध का उद्घाटन करके इस परियोजना को देश को समर्पित करने वाले हैं। आंदोलन की ओर से मंत्रालय को सौंपे गये ज्ञापन के अनुसार नर्मदा नहर के निर्माण के बगैर बांध के दरवाजे बंद करने से इससे लाभान्वित होने वाले इलाकों में पीने अथवा सिंचाई का पानी भी नहीं पहुंच सकेगा। इसमें कहा गया कि बांध के दरवाजे बंद करने से इस बांध की ऊंचाई बढ़कर 138 मीटर हो जाएगी और इसके कारण 192 गांवों के करीब 40 हजार परिवारों के आवास जलमग्न हो जाएंगे।

एनबीए ने कहा कि मध्य प्रदेश के अलीराजपुर, बड़वानी, धार, खारगोन जिलों के 192 गांवों के अलावा धार जिले का एक शहर धरमपुरी भी डूब क्षेत्र में है। नर्मदा के डूब क्षेत्र में महाराष्ट्र के 33 और गुजरात के 19 गांव भी शामिल हैं। यह सभी पूर्णत: आदिवासी गांव हैं, जिसमें से महाराष्ट्र के सात पहाड़ी गांवों को वनग्राम का दर्जा मिला है। राजधानी दिल्ली में नर्मदा बचाओ आंदोलन की अगुवाई करने वाली एवं मेधा पाटेकर की सहयोगी कार्यकर्ता उमा ने ‘भाषा’ से कहा, ‘‘यह उच्चतम न्यायालय के निर्देशों की अवमानना है। सरकार की ओर से पुनर्वास का काम पूरा करने का दावा बिल्कुल झूठा है।

उच्चतम न्यायालय ने नर्मदा ट्रिब्यूनल का फैसला, राज्य की उदार पुनर्वास नीति व एक्शन प्लान पर पूरी तरह से अमल करने का निर्देश दिया था, लेकिन यह सब किये बगैर ही सरकार बांध की ऊंचाई 90 मीटर से बढ़ाकर 120 मीटर करने जा रही है। ’’उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश शासन ने बांध के कारण विस्थापित होने वाले परिवारों के आंकड़े भी कम करके दिखाये हैं। उन्होंने कहा कि 2008 में ही मध्य प्रदेश शासन ने कुल 53,000 विस्थापित परिवारों में से 4,374 परिवारों को बिना कारण बताये ही हटा दिया। उमा ने कहा, ‘‘हालांकि न्यायालय के कहने पर शिकायत निवारण प्राधिकरण का गठन तो कर दिया गया, लेकिन यह सिर्फ एक ढांचा मात्र है और करीब छह हजार शिकायतें लंबित पड़ी हैं।

सरकार इनके निस्तारण के बजाय पुलिस एवं प्रशासन के जरिये भय का माहौल पैदा कर रही है। उन्होंने बताया कि सरकार जिस इलाके में कुल 78 पुनर्वास स्थल स्थापित करने का दावा कर रही है, वहां की वास्तविक स्थिति यह है कि वह एक नम भूमि वाला इलाका है, जहां घर बनाना संभव नहीं है। इसके अलावा वहां पीने का पानी जैसी मूलभूत सुविधायें भी नहीं पहुंचायी गयी हैं। उन्होंने कहा कि लोग दिल्ली के जंतर मंतर पर शांतिपूर्ण तरीके से सत्याग्रह कर रहे हैं, और बांध के कारण विस्थापित होने वाले लोगों का पुनर्वास होने तक अपनी मांग नहीं छोड़ेंगे।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता और पूर्व सांसद हन्नान मुल्ला भी विरोध में शामिल हुए और उन्होंने बांध के गेट बंद होने के चलते इलाकों के जलमग्न होने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा ,‘‘परियोजना के प्रभावितों का पहले उचित तौर पर पुनर्वास किया जाना चाहिए।

 

राज्‍यों से जुड़ी हर खबर और देश-दुनिया की ताजा खबरें पढ़ने के लिए नार्थ इंडिया स्टेट्समैन से जुड़े। साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप को डाउनलोड करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Back to top button

sbobet

mahjong slot

spaceman slot

https://www.saymynail.com/

slot bet 200

slot garansi kekalahan 100

rtp slot

Slot bet 100

slot 10 ribu

slot starlight princess

https://moolchandkidneyhospital.com/