मोबाइल के साथ सीमित आजादी ही बच्चों को बचाने का है कारगर उपाय
लखनऊ। मोबाइल के साथ सीमित आजादी ही बच्चों को बचाने का कारगर उपाय है। संतुलन बनाकर ही तकनीक का फायदा बच्चों को दिलाया जा सकता है। इसकी पूरी जिम्मेदारी माता- पिता की है। यह कहना है किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU) के मनोचिकित्सक प्रो. आदर्श त्रिपाठी का। उन्होंने यह बातें अमृत विचार संवाददाता से हुई बातचीत के दौरान कही है। बच्चों की शिक्षा और कैरियर में मोबाइल का अहम योगदान हो सकता है, लेकिन उसके लिए मोबाइल का इस्तेमाल सतर्कता के साथ होना चाहिए। 6 साल से कम उम्र के बच्चे को मोबाइल देने से उनमें मानिसक बीमारी होने का तीन गुना खतरा अधिक बढ़ जाता है।
डॉ. आदर्श त्रिपाठी ने बताया कि मोबाइल का अधिक प्रयोग बच्चे को मानसिक रूप से बीमार और बहुत अधिक बीमार कर सकता है। इसलिए बच्चों को मोबाइल देते समय माता-पिता को सावधान रहना चाहिए। मौजूदा समय में यदि बच्चों का एकदम से मोबाइल छीन लेंगे, तो भी उनके विकास पर प्रभाव पड़ेगा। उन्हें नई जानकारी नहीं मिल पायेगी, वह तकनीक से दूर होंगे तो अन्य बच्चों से पिछड़ जायेंगे। वहीं पूरी तरह से मोबाइल पाने के बाद बच्चे मानसिक बीमारी का शिकार भी हो सकते हैं।
डॉ. आदर्श त्रिपाठी ने बताया कि बच्चों को स्वतंत्र रूप से मोबाइल नहीं देना चाहिए। स्वतंत्र (independent) तौर पर मोबाइल देने से उनकी एकाग्रता (concentration) भंग हो सकती है। बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल किस तरह से कर रहे हैं इसकी पूरी जिम्मेदारी माता-पिता की होनी चाहिए। तभी तकनीकी यानी की मोबाइल का फायदा बच्चों को मिल सकता है, लेकिन यदि माता पिता लापरवाही बरतेंगे, तो इसका खामियाजा बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ेगा।
रात में न दें मोबाइल
डॉ. आदर्श की माने तो परीक्षा का समय चल रहा है। ऐसे में माता-पिता को रात आठ बजे के बाद बच्चों को मोबाइल नहीं देना चाहिए। जिससे बच्चे विस्तर पर मोबाइल न ले जा सकें। यदि वह विस्तर पर मोबाइल ले जायेंगे। तो उनकी नींद खराब होगी। साथ ही उन्हें मोबाइल की लत लग जायेगी। एक बार मोबाइल की आदत पड़ गई तो उससे निजात पाना काफी मुश्किल होता है।
बच्चे भी चाहते हैं पढ़ना, लेकिन मोबाइल से होता है डिस्ट्रक्शन
डॉ. आदर्श ने बताया कि मोबाइल से डिस्ट्रक्शन ( DESTRUCTION) भी बढ़ रहा है। बच्चे खुद चाहते हैं कि वह पढ़ाई करें, लेकिन मोबाइल पर मौजूदा सामग्री उनके ध्यान को भटका देती हैं। इस दौरान उन्होंने एक शोध का जिक्र करते हुये बताया कि यह साबित हो चुका है कि 6 साल से कम उम्र के बच्चों को मोबाइल देने से उनमें मानिसिक बीमारी होने का खतरा तीन गुना अधिक होता है।