JNU चुनाव: संयुक्त वाम गठबंधन के समर्थकों ने विजय जुलूस निकाला
नई दिल्ली। JNU छात्र संघ चुनाव के नतीजों की घोषणा के तुरंत बाद विजयी संयुक्त वाम गठबंधन ने विश्वविद्यालय परिसर में विजय जुलूस निकालकर जीत का जश्न मनाया। विजय जुलूस स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज से प्रसिद्ध गंगा ढाबा तक निकाला गया। जुलूस की अगुवाई नवनिर्वाचित अध्यक्ष गीता कुमारी, उपाध्यक्ष सिमोन जोया खान, महासचिव डुग्गीराला श्रीकृष्ण और संयुक्त सचिव शुभांशु सिंह कर रहे थे। स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज में इतिहास में एमफिल द्वितीय वर्ष की छात्रा गीता हरियाणा के पानीपत की रहने वाली हैं।
पिछले पांच वर्षों से आइसा की कार्यकर्ता रहीं गीता दो बार काउन्सिलर निर्वाचित हो चुकी हैं। वह जीएस—कैश (जेंडर सेंसिटिव कमिटी अगेंस्ट सेक्सुअल हैरैसमेंट) में 2015 में छात्र प्रतिनिधि रह चुकी हैं। गीता ने अपनी जीत का श्रेय छात्रों को दिया। उन्होंने वादा किया कि वह लापता जेएनयू छात्र नजीब के लिये न्याय सुनिश्चित करेंगी और प्रभार संभालने के बाद सीटों में कटौती के मुद्दे को उठाएंगी। उत्तर प्रदेश के बांदा में जन्मी 26 वर्षीय जोया खान का लालन—पालन असम के नुमालीगढ़ में हुआ है। वह जेएनयू के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में सेंटर फॉर इंडो पैसिफिक स्टडीज में पीएचडी द्वितीय वर्ष की छात्रा हैं। उनकी मातृभाषा उर्दू है और चुनाव प्रक्रिया के दौरान उन्हें अपने माता—पिता और खासतौर पर मां निशात से समर्थन मिला। जोया के पिता एक सेवानिवृत्त स्कूल शिक्षक हैं। पीएचडी प्रथम वर्ष के छात्र डुग्गीराला श्रीकृष्ण आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने ‘सेव जेएनयू, सेव डेमोक्रेसी’ अभियान चलाया था।
एसएफआई नेता श्रीकृष्ण सक्रिय छात्र नेता हैं और एसआईएस के छात्रों के लिये कई सुविधाएं लाने में सफलता प्राप्त करने की वजह से लोकप्रिय हैं। वह खुद भी एसआईएस के छात्र हैं। उन्होंने सर्वाधिक 2082 मत हासिल किये और इस पद के लिये अपने प्रतिद्वंद्वियों को बुरी तरह पराजित किया। शुभांशु सिंह आगरा के रहने वाले हैं और स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज से ‘पॉलिटिक्स ऑफ नेमिंग एंड रीनेमिंग’ में पीएचडी कर रहे हैं। वह पीएचडी द्वितीय वर्ष के छात्र हैं। पिछले पांच वर्षों से डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन के सक्रिय सदस्य सिंह ने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री वेंकटेश्वर कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की है और जेएनयू से स्नातकोत्तर की पढ़ाई की है। उन्होंने जेएनयूएसयू संयुक्त सचिव के तौर पर शपथ लेने के तत्काल बाद सीटों में कटौती के मुद्दे को उठाने का वादा किया।