51 साल बाद मिला Jammu-Kashmir को राज्यपाल
राममनोहर लोहिया से प्रेरित मलिक ने मेरठ यूनिवर्सिटी में एक छात्र नेता के तौर पर अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था। वह उत्तर प्रदेश के बागपत से 1974 में चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल से विधायक चुने गए थे।
सत्यपाल मलिक 1984 में कांग्रेस में शामिल हो गए और यहीं से राज्यसभा सदस्य भी बने लेकिन करीब तीन साल बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। वह वीपी सिंह के जनता दल में 1988 में शामिल हुए और 1989 में अलीगढ़ से सांसद चुने गए।
साल 2004 में मलिक भाजपा में शामिल हुए थे और लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन इसमें उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह से शिकस्त का सामना करना पड़ा।
बिहार के राज्यपाल पद की चार अक्तूबर 2017 को शपथ लेने से पहले वह भाजपा किसान मोर्चा के प्रभारी थे। वह 21 अप्रैल 1990 से 10 नवंबर 1990 तक केंद्र में राज्य मंत्री भी रहे हैं।