नई दिल्ली। पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना की काररवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और उसी क्रम में भारत व पाकिस्तान के बीच चार दिनों चली जंग के चार महीनों के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री और उप-प्रधानमंत्री इशाक डार ने एक नया खुलासा किया है।
डार ने कहा कि मई में हुए सैन्य टकराव के दौरान उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से भारत व पाकिस्तान के बीच किसी तीसरे देश की मध्यस्थता की संभावना पर बात की थी। इस पर रुबियो ने साफ कहा कि भारत युद्धविराम के लिए किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करेगा क्योंकि यह मुद्दा केवल भारत और पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मामला है।
मार्को रुबियो ने कहा था- भारत बाहरी हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करेगा
इशाक डार ने अल जजीरा को दिए एक इंटरव्यू में खुलासा करते हुए कहा कि पाकिस्तान ने तीसरे पक्ष की भूमिका की उम्मीद जताई थी, लेकिन भारत ने इसे पूरी तरह नकार दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को भारत के साथ बातचीत में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से कोई समस्या नहीं है, लेकिन भारत हमेशा यही कहता रहा है कि यह पूरी तरह से दोनों देशों के बीच का मामला है। डार ने यह भी बताया कि गत 25 जुलाई को जब वह वॉशिंगटन में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मिले और बातचीत के बारे में पूछा तो रुबियो ने कहा कि भारत का रुख साफ है- यह एक द्विपक्षीय मुद्दा है।
भारत से द्वपक्षीय बातचीत को तैयार है इस्लामाबाद
पाकिस्तानी डिप्टी पीएम डार ने इंटरव्यू में यह भी कहा, ‘इस्लामाबाद भारत से द्विपक्षीय बातचीत के लिए तैयार है। हम किसी चीज़ की गुहार नहीं लगा रहे हैं। यदि कोई देश बातचीत करना चाहता है तो हमें खुशी होगी और हम उसका स्वागत करेंगे। लेकिन बातचीत के लिए दोनों पक्षों की सहमति जरूरी होती है। जब तक भारत खुद बातचीत नहीं चाहता, हम उस पर दबाव नहीं डाल सकते।’
ट्रंप के इस दावे को भारत ने नकारा था
इशाक डार की बातों से यह साफ होता है कि भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की थी और इस बात को भी अब जोर मिलता है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद सीजफायर का फैसला भारत व पाकिस्तान की सेनाओं के बीच सीधी बातचीत से ही लिया गया था।
पाकिस्तान ने पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे का समर्थन किया था, जिसमें कहा गया था कि 10 मई को युद्धविराम समझौता अमेरिकी मध्यस्थता से हुआ। लेकिन भारत ने इन दावों को पूरी तरह खारिज कर दिया। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जून में ट्रंप से फोन पर साफ कहा था कि युद्धविराम का समझौता सीधे भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था, किसी तीसरे पक्ष के कारण नहीं।
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