सारा कुछ प्रिन्ट मीडिया, वेब मीडिया और इलैक्ट्रानिक मीडिया में आने के बाद भी ऐसे डकैत Hospital के खिलाफ कार्रवाई ना होना ये बताता है कि सरकार मेडीकल एसोसियेशन के आगे नतमष्तक है।
ये तो हद हो गई गुंडई की परकाष्ठा की कि एक मैक्स Hospital के खिलाफ दिल्ली सरकार ने कार्रवाई कर दी, लेकिन इस Hospital के खिलाफ ना तो हरियाणा सरकार कार्रवाई कर पा रही है और ना ही केन्द्र सरकार।
बात रही एमआरपी की तो उस निर्माता कम्पनी को गिरफ्तार किया जाना चाहिए जिसने दो-दो गुना ज्यादा एमआरपी दवाईयों पर डाली। दूसरी बात ये एनपीपीए क्या कर रहा है। यदि इसके पास अधिकार नहीं है कार्रवाई का तो इसका वजूद क्या? और अधिकार होने के बावजूद कार्रवाई नहीं कर रहा तो यहॉं के अधिकारियों के खिलाफ भारत सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए।
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