Honeypreet की ट्रांजिट अग्रिम जमानत याचिका खारिज
Honeypreet की ट्रांजिट अग्रिम जमानत याचिका को दिल्ली उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया।
अदालत ने कहा कि उनके लिये सबसे आसान तरीका आत्मसमर्पण करना होगा।
Honeypreet डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की दत्तक पुत्री कही जाती हैंl
जबकि वह एक तरह से रखैल की श्रेणी में ही आती हैं।
न्यायमूर्ति संगीता धींगरा सहगल ने Honeypreet और दिल्ली पुलिस की तरफ से दलीलों को सुनने के बाद कहा कि हनीप्रीत बलात्कार के दो मामलों में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को दोषी ठहराये जाने के बाद से फरार है।
वह डेरा प्रमुख की दोषसिद्धि के बाद हरियाणा में कथित तौर पर हिंसा भड़काने के लिये राजद्रोह के आरोप का सामना कर रही है। ट्रांजिट अग्रिम जमानत याचिका एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाए जाने के दौरान गिरफ्तारी से बचाव के लिये होती है।
Honeypreet राजद्रोह के मामले में जांच में शामिल होने के लिये दिल्ली से हरियाणा ले जाए जाने के दौरान गिरफ्तारी से बचाव की मांग कर रही है। सुनवाई के दौरान हरियाणा पुलिस ने दिल्ली उच्च न्यायालय में Honeypreet के याचिका दायर करने का विरोध किया। उसने कहा कि यह अपनी पसंद से मंच चुनने की युक्ति है।
दिल्ली पुलिस ने भी कहा कि हनीप्रीत को यहां उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की बजाये पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिये। दिल्ली पुलिस और हरियाणा पुलिस ने तीन सप्ताह के लिये अग्रिम जमानत के लिये हनीप्रीत की याचिका का इस आधार पर विरोध किया कि इसके लिये हरियाणा सक्षम अदालत होगी।
हनीप्रीत के वकील ने दावा किया कि हरियाणा में उनके जीवन को खतरा हैl इसलिये उसने गिरफ्तारी से तब तक बचाने के लिये उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया हैl जब तक कि वह पड़ोसी राज्य नहीं चली जाती। वकील ने कहा कि अगर उसे संरक्षण प्रदान किया जाता है तो वह जांच में शामिल होगी।
लेकिन अदालत ने निर्णय दिया कि हनीप्रीत हरियाणा की रहने वाली है। दिल्ली उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में वह नहीं रहती है। इसलिए उसे पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में अपील करनी चाहिए। इस बिना पर अदालत ने हनीप्रीत की याचिका खारिज कर दी।