
मुस्लिम समाज में पैठ बढ़ाने के इरादे से की बैठक, दिए दिशा निर्देश
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों के क्रम में मुस्लिम समाज में पैठ बढ़ाने के इरादे से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने मंडल स्तरीय मुस्लिम समाज भाईचारा संगठन की बैठक के जरिये अल्पसंख्यकों को पार्टी में जोड़ने की कवायद शुरु कर दी है। इस सिलसिले में सुश्री मायावती ने मुस्लिम समाज को बसपा से जोड़ने के लिए जरूरी दिशा-निर्देश दिये।
उन्होने कहा कि उत्तर प्रदेश के सभी 18 मण्डलों में अर्थात् प्रत्येक मण्डल-वार मुस्लिम समाज भाईचारा संगठन’ के तहत एक दलित व एक मुस्लिम को संयोजक बनाया गया है। ये दोनों लोग मिलकर अपने मण्डल में, प्रत्येक विधानसभा-वार मुस्लिम समाज में जाकर तथा उनके बीच छोटी-छोटी बैठकें करके उन्हें बसपा में जोड़ने का कार्य करेंगे।
कैडर आधारित इन भाईचारा बैठकों में ये दोनों मण्डल स्तरीय संयोजक, मुस्लिम समाज के लोगों को बसपा के मिशन के बारे में बताने के साथ-साथ, उन्हें पार्टी का सदस्य भी बनायेंगे तथा इस मिशनरी कार्य की प्रगति रिपोर्ट सीधे बसपा प्रदेश कार्यालय के ज़रिये उनके संज्ञान में भी लायेंगे।
उन्होने कहा कि बसपा जाति व धार्मिक द्वेष के आधार पर तोड़े, सताये व पछाड़े जा रहे लोगों के बीच आपसी भाईचारा के आधार पर उन्हें जोड़ने के लिये कटिबद्ध है। बिना किसी भेदभाव के सभी के जान-माल व मज़हब की सुरक्षा तथा रोज़ी-रोटी सहित सम्मान के साथ उन्हें जीने का संवैधानिक हक मिले, इसके लिये बसपा संघर्षरत है।
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी देश के करोड़ों-करोडों वंचित, शोषित, उपेक्षित ग़रीब बहुजनों को ‘पावर और पद’ के ज़रिए सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक विकास चाहती है, जबकि विरोधी पार्टियाँ इन वर्गों में से कुछ स्वार्थी लोगों को कोई ‘पद’ (पोस्ट) बड़ी मजबूरी में कभी दे देती हैं, लेकिन उन्हें ‘पावर यानी सत्ता की शक्ति’ देना कतई स्वीकार नहीं है, जिससे मुक्ति हेतु बहुजनों की अपनी अम्बेडकरवादी पार्टी बसपा की सरकार बनाना ज़रूरी है।
उन्होने कहा कि मुस्लिम समाज की एकजुटता के साथ, सपा व कांग्रेस की बजाय, बसपा को सीधे ही समर्थन करना ज़रूरी ताकि भाजपा की घातक राजनीति को चुनाव में हराया जा सके। मुस्लिम समाज के एकतरफा समर्थन व वोट देने के बावजूद सपा भाजपा को हराने में विफल रही है।



