इनकम टैक्स रिटर्न भरने से पहले जान लें नियम, कौन सा तरीका है आपके लिए बेहतर
लखनऊ – आयकर विभाग में वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए आयकर रिटर्न (आईटीआर) भरने की सुविधा प्रारंभ कर दी है। ऐसे में टैक्स पेयर ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों ही माध्यम से फॉर्म सबमिट कर सकते हैं।
आयकर रिटर्न भरते समय ध्यान देने वाली बात यह है कि करदाता को नई या पुरानी कर व्यवस्था में से किसी एक को चुनना होगा। इनकम टैक्स एक्सपर्ट के अनुसार दोनों के अपने-अपने फायदे व नुकसान है करदाता को अपनी जरूरत और निवेश के आधार पर आईटीआर दाखिल करने की व्यवस्था को चुनना चाहिए।
आयकर कानून के अनुसार नई कर व्यवस्था
डिफॉल्ट व्यवस्था है यानी करदाता के लिए यह पहले से ही लागू है। इसका मतलब है कि करदाता को हर साल कर स्लैब का चुनाव करना होगा, यदि कोई वेतन भोगी करदाता पुरानी व्यवस्था को चाहता है तो उसे नए वित्त वर्ष की शुरुआत में अपने नियोक्ता को इस संबंध में सूचित करना होगा।
यदि वह ऐसा नहीं करता है तो वह अपने आप नहीं कर व्यवस्था में आ जाएगा और इसके तहत तय आयकर स्लैप के आधार पर उसके वेतन से आयकर कट जाएगा। वित्तीय वर्ष 2024-25 में भुगतान किए गए अतिरिक्त कर के लिए आयकर रिफंड का दावा करने के लिए उन्हें अगले वित्तीय वर्ष तक इंतजार करना होगा।
किसके लिए कौन सी व्यवस्था बेहतर
कर विशेषज्ञों का कहना है कि अपनी निवेश जरूरत के हिसाब से करदाता को सही व्यवस्था का चुनाव करना चाहिए। अगर करदाता आयकर की धारा 80c या 80d के तहत निवेश करते हैं या होम लोन है या बच्चे स्कूल कॉलेज में पढ़ते हैं तो पुरानी कर व्यवस्था के अनुसार रिटर्न दाखिल करना चाहिए।
वहीं, अगर किसी भी प्रकार का निवेश या बचत नहीं करते हैं तो नई व्यवस्था के अनुसार रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। नई व्यवस्था में इस तरह की कोई छूट नहीं मिलती है। कर विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि अगर किसी की आय 10 लाख से ज्यादा है तो बेहतर होगा कि अभी से निवेश शुरू कर दें ताकि आयकर बचाया जा सके और यह निवेश भविष्य में भी काम आ जाएगा।
कर छूट में बड़ा अंतर
पुरानी और नई आयकर व्यवस्था के बीच मुख्य अंतर इसके तहत प्राप्त कर छूट और कटौती से है। पुरानी व्यवस्था के तहत करदाता पर्याप्त कटौती का दावा कर सकते हैं। जिसमें मानक कटौती के साथ धारा 80सी धारा 80डी और धारा 80 टीटीए के मैं कर छूट शामिल है।
पुरानी कर व्यवस्था में एक वेतन भोगी व्यक्ति कल 2.5 लाख रुपए की कटौती का दावा कर सकता है। इसके विपरीत नई व्यवस्था चुन्ने वाले करदाता को केवल ₹50000 की कर कटौती का ही लाभ मिलेगा।