केजीएमयू में यलो फीवर (पीला बुखार) वैक्सीन की शॉर्टेज हो गई है। वैक्सीन के लिए लोगों को 17 दिन तक इंतजार करवाया जा रहा है। समय से वैक्सीनेशन न होने से बहुत से लोगों की विदेश यात्रा अटक गई है। अफ्रीका व साउथ अमेरिका की यात्रा के लिए यलो फीवर की वैक्सीन (टीका) लगवाने और प्रमाण-पत्र की जरूरत पड़ती है। यह वैक्सीन प्रदेश में सिर्फ किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में ही लगती है।
टीका कम्युनिटी मेडिसिन विभाग में सोमवार, गुरुवार और शनिवार को सुबह 10 से 1 बजे तक लगाया जाता है। प्रत्येक दिवस में 30 लोगों को ही टीका लगता है। टीका लगवाने के लिए लगभग 17 दिन की वेटिंग है। 200 से अधिक लोग टीके का इंतजार कर रहे हैं। समय पर वैक्सीन न लगने से लोग परेशान हैं। बहुत से लोग तो समय पर वैक्सीन लगवाने के लिए दिल्ली तक दौड़ लगाने को मजबूर हैं।
लखीमपुर के विनय कश्यप ने बताया कि वैक्सीनेशन के लिए 1 सितंबर को स्लॉट बुक कराने के लिए केजीएमयू की वेबसाइड पर जारी नंबर पर फोन किया था। 20 सितंबर से पहले स्लॉट खाली न होना बताया गया। ये भी कहा गया कि जल्दी है तो दिल्ली जाकर वैक्सीन लगवा सकते हैं। राजाजीपुरम के नितिन ने बताया कि बुधवार को वैक्सीनेशन के लिए सुबह 10 बजे से 12:30 बजे तक कई बार स्लॉट बुकिंग नंबर पर कॉल की, लेकिन नंबर स्विच ऑफ बताता रहा।
यात्रा से 10 दिन पहले वैक्सीन लगवाना जरूरी
जानकारों का कहना है कि यलो फीवर का टीका यात्रा करने से कम से कम 10 दिन पहले लगवाना चाहिए। क्योंकि शरीर को वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में 10 दिन का समय लगता है। यह टीका आमतौर पर अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में उन क्षेत्रों में यात्रा करने के लिए लगवाना जरूरी होता है जहां पीला बुखार का प्रकोप है। कुछ देशों में प्रवेश के लिए भी इस टीके का प्रमाण पत्र आवश्यक होता है। लोगों का जरूरी दस्तावेज तैयार हैं, लेकिन फिर भी इन्हें लौटाया जा रहा है। बिना प्रमाण पत्र दिखाए अफ्रीका के देशों की यात्रा नहीं कर सकते हैं।
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