केरल में वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट में गड़बड़ी का एक मामला सामने आया है। दरअसल एक COVID टीकाकरण प्रमाणपत्र में सेकेंड डोज की गलत तारीख और स्थान लिखे जाने पर केरल हाई कोर्ट ने जांच का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि इस बात का पता लगाया जाए कि यह गलती वास्तविक थी या कोई शरारत।
न्यायमूर्ति पी वी कुन्हीकृष्णन ने कहा कि यदि वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट में गलत विवरण किसी शरारत के कारण होता है। तो इसमें शामिल अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जरूरत है। अदालत ने एर्नाकुलम के जिला चिकित्सा अधिकारी को जांच करने का निर्देश दिया है।
अदालत ने एर्नाकुलम के जिला चिकित्सा अधिकारी को जांच करने का निर्देश दिया याचिका दायर करने वाले व्यक्ति का सेकेंड डोज उसी स्थान से दिया गया था। कोर्ट ने कहा कि अगर यह कोई गलती है तो समझ में आता है और सुधार के साथ नया प्रमाणपत्र जारी किया जा सकता है। लेकिन अगर ये कोई शरारत है। तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। अदालत ने कहा और मामले को एक सप्ताह के बाद सूचीबद्ध किया।
केपी जॉन की याचिका पर सुनवाई
अदालत वकील सी दिलीप और अनुष्का विजयकुमार के माध्यम से दायर एक केपी जॉन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जिसमें टीकाकरण प्रमाण पत्र में विवरण के गलत इस्तेमाल का आरोप लगाया गया था। विजयकुमार ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल को पहली खुराक मार्च में और दूसरी अप्रैल में मिली, दोनों अलुवा के एक टीकाकरण केंद्र से, और कभी भी एर्नाकुलम में जाब नहीं हुई थी।
दूसरी खुराक जुलाई में दी गई थी
हालांकि, जब जुलाई में टीकाकरण प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया गया। तो पता चला कि दूसरी खुराक जुलाई में दी गई थी और वह भी एर्नाकुलम में टीकाकरण प्रमाण पत्र पर याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया है कि एर्नाकुलम के डीएमओ को एक पत्र भेजा गया था और वहां के अस्पताल को कानूनी नोटिस भेजा गया था जहां प्रमाण पत्र में सुधार करने के लिए टीकाकरण केंद्र स्थित था। लेकिन आज तक कुछ भी नहीं किया गया था और इसलिए तत्काल याचिका दायर किया गया था। याचिकाकर्ता ने सही टीकाकरण प्रमाण पत्र जारी करने की भी मांग की है।