राष्ट्रीय

मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत अब तक 01 लाख 77 हजार से अधिक गोवंश आमजन को सुपुर्द किए गए

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज यहां लोक भवन में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में निराश्रित गो-आश्रय स्थलों के प्रबंधन और प्रदेश में दुग्ध उत्पादन/संग्रह की अद्यतन स्थिति की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पशु संवर्धन तथा संरक्षण के लिए सेवाभाव के साथ सतत् प्रयासरत है। गोवंश के संवर्धन तथा संरक्षण सहित सभी पशुपालकों के प्रोत्साहन के लिए सरकार द्वारा अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं। पात्र लोगों को इसका लाभ मिलना सुनिश्चित कराया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जनभावनाओं का सम्मान करते हुए राज्य सरकार द्वारा निराश्रित गोवंश का संरक्षण करते हुए उनके चारे-भूसे के लिए भी आवश्यक प्रबन्ध किया गया है। प्रदेश में वर्तमान में संचालित 6719 निराश्रित गो-आश्रय स्थलों में 11 लाख 33 हजार से अधिक गोवंश संरक्षित हैं। विगत 20 जनवरी से 31 मार्च तक संचालित विशेष अभियान के तहत 1.23 लाख गोवंश संरक्षित किए गए। यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रदेश के सभी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कोई भी गोवंश निराश्रित न हो।

जनपद संभल, मथुरा, मीरजापुर, शाहजहांपुर, संतकबीरनगर, अमरोहा, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद और फर्रुखाबाद में सर्वाधिक गोवंश संरक्षित किए गए हैं। गोवंश संरक्षण के लिए किये जा रहे नियोजित प्रयासों के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। उन्होंने चरणबद्ध रूप से सभी जिलों में इसी प्रकार निराश्रित गोवंश का बेहतर प्रबंधन किये जाने के निर्देश दिए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी प्रकार के निराश्रित गो-आश्रय स्थलों को चारा-भूसा व अन्य आवश्यक कार्यों के लिए उपलब्ध कराई जाने वाली धनराशि सीधे गो-आश्रय स्थलों को उपलब्ध कराई जाए। इसके लिए डी0बी0टी0 प्रणाली उपयोग में लाएं। प्रत्येक माह की 25 से 30 तारीख तक गोवंश का सत्यापन करते हुए विकास खंड स्तर पर पशुपालन विभाग के अधिकारी और ए0डी0ओ0 पंचायत/बी0डी0ओ0 द्वारा रिपोर्ट जिला प्रशासन को भेजी जाएगी।

इसके बाद, अगले माह की 05 तारीख तक मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी द्वारा शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाए कि यह धनराशि गोवंश के लिए है, उसका सदुपयोग हो। गोवंश को सूखे भूसे के साथ ही, हरा चारा भी दिया जाए। इस कार्य में स्थानीय जनता का सहयोग लिया जाए। धनराशि मिलते ही चोकर/भूसा खरीद का भुगतान कर दिया जाए।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गोवंश संरक्षण के लिए प्रदेश में वृहद गो-संरक्षण केंद्र बनाए जा रहे हैं। यह सुखद है कि अब तक 274 वृहद गोवंश संरक्षण केंद्र क्रियाशील हो गए हैं। आगामी छह माह में शेष 75 वृहद गोवंश संरक्षण केन्द्र तैयार कर लिए जाएं। इससे आमजन को बड़ी सुविधा मिलेगी। गोवंश संरक्षण केन्द्रों पर केयर टेकर तैनात किए जाएं। गोवंश की बीमारी/मृत्यु की दशा में यह केयर टेकर सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करेगा। गायों को समय-समय पर घुमाने भी ले जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि निराश्रित गोवंश के संरक्षण के लिए संचालित मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के आशातीत परिणाम मिले हैं। इस योजना के तहत अब तक 01 लाख 77 हजार से अधिक गोवंश आमजन को सुपुर्द किए गए हैं। कुपोषित बच्चों वाले परिवारों को दूध की उपलब्धता के लिए पोषण मिशन के अन्तर्गत 3,598 गोवंश ऐसे परिवारों को दिए गए हैं।

गोवंश की सेवा कर रहे सभी परिवारों को 900 रुपये प्रतिमाह की राशि हर महीने उपलब्ध करा दी जाए। इसमें बिल्कुल भी विलम्ब न हो। डी0बी0टी0 के माध्यम से धनराशि सीधे परिवार को भेजी जाए। गोवंश सत्यापन के लिए स्थानीय स्तर पर उपजिलाधिकारी स्तर के अधिकारी को नामित किया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अंत्येष्टि स्थल/श्मशान घाट पर उपयोग की जाने वाली कुल लकड़ी में 50 प्रतिशत गोवंश उपला/गोइठा का उपयोग किया जाए। यह उपला/गोइठा निराश्रित गो-आश्रय स्थल से उपलब्ध कराया जाएगा। गोइठा से होने वाली आय उस गो-आश्रय स्थल के प्रबंधन में उपयोग हो सकेगी। प्रदेश के सभी 17 नगर निगमों और नगर पालिका परिषद वाले जिला मुख्यालयों पर कैटल कैचर वाहन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की सहकारी दुग्ध समितियों से जुड़े दुग्ध उत्पादकों को दुग्ध का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित कराते हुए आम जनमानस को गुणवतायुक्त दूध और दूध उत्पाद उचित मूल्य पर उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार संकल्पित है। सतत् एवं समन्वित प्रयासों से प्रदेश में दुग्ध समितियों ने दुग्ध उत्पादन, संग्रह, विक्रय आदि में अभूतपूर्व कार्य किया है। इससे हमारे पशुपालकों की आय में बढ़ोत्तरी हुई है।

इस क्षेत्र में बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर संघ जैसी संस्थाओं ने अनुकरणीय कार्य किया है। सभी जनपदों में दुग्ध समितियों के गठन को और विस्तार दिया जाए। इसमें महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। राज्य सरकार ने कानपुर, मुरादाबाद, गोरखपुर, आजमगढ़ और प्रयागराज में निजी क्षेत्र के सहयोग से नए डेयरी प्लांट स्थापित करने का निर्णय लिया है। इस सम्बंध में मंत्रिपरिषद के निर्णयानुसार आवश्यक कार्यवाही की जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि दुग्ध एवं दुग्ध उत्पादों की आनलाइन बिक्री की व्यवस्था हेतु ई-काॅमर्स पोर्टल चंतंहकंपतलण्बवउ उपयोगी सिद्ध हो रहा है। प्रदेश के शहरी क्षेत्रों मे पराग मित्र एवं ग्रामीण क्षेत्रों में महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से आॅनलाइन दुग्ध एवं दुग्ध उत्पादों का विक्रय किया जा रहा है। ई-कामर्स पोर्टल के माध्यम से अब तक 71,068 उपभोक्ता, 89 महिला स्वयं सहायता समूह व 215 पराग मित्र जोड़े जा चुके हैं। ई-काॅमर्स पोर्टल के माध्यम से लगभग 6 करोड़ रुपये का व्यवसाय किया गया है। इसे और मजबूत बनाए जाने के लिए आवश्यक प्रयास किए जाएं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश दुग्ध उत्पादन में अग्रणी राज्य है। गांवों में दुग्ध सहकारी समितियां गठित कर दुग्ध उत्पादकों को गांव में ही, उनके दूध के उचित मूल्य पर विक्रय की सुविधा उपलब्ध कराने हेतु, ‘नन्द बाबा दुग्ध मिशन योजना’ संचालित की गयी है। इसके अच्छे परिणाम मिले हैं। अधिकाधिक दुग्ध उत्पादकों को इसका लाभ दिलाया जाए। गोवंश नस्ल सुधार के कार्यक्रमों को बढ़ाये जाने की जरूरत है। विकास खंड पर स्थापित वृहद गो-आश्रय स्थल इस कार्य के लिए उपयोगी हो सकते हैं।

पशुपालकों को आपातकालीन सहायता के लिए टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर ‘1962’ का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। इसके माध्यम से कभी भी, कोई भी पशुपालक चिकित्सक से परामर्श प्राप्त कर सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को इस सेवा के बारे में अधिकाधिक जानकारी दी जाए, ताकि लोग इस सेवा का लाभ उठा सकें। पशुपालन, दुग्ध उत्पादन, विक्रय, नस्ल सुधार आदि सम्बंधित विषयों की संबंधित विभागीय मंत्री द्वारा साप्ताहिक समीक्षा की जाए। लक्ष्य निर्धारित करें, उसके सापेक्ष प्रयास करें।

बैठक में पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री श्री धर्मपाल सिंह, मुख्य सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्र, कृषि उत्पादन आयुक्त श्री मनोज कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री श्री एस0पी0 गोयल, प्रमुख सचिव नगर विकास श्री अमृत अभिजात, प्रमुख सचिव नियोजन श्री आलोक कुमार, दुग्ध आयुक्त श्री शशि भूषण लाल सुशील सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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