बढ़ा Moonlighting विवाद, विप्रो चेयरमैन को मिले हेट ई-मेल
मूनलाइटिंग का विवाद अब और बढ़ता नजर आ रहा है। विप्रो के द्वारा मूनलाइटिंग को वजह बताकर 300 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का विरोध देखने को मिलने लगा है। इस मामलें में विप्रो के चेयरमैन को कई ऐसे ई-मेल और मैसेज मिले हैं जिसमें फैसले पर नाखुशी जताई है। खुद विप्रो चेयरमैन ने इन्हें हेट मेल कहा है।
वहीं कर्मचारियों के एक ग्रुप ने विप्रो के कदम को गलत और अवैध कहा है और संकेत दिए हैं कि वो इस मामले को और आगे ले जा सकते है। हाल ही में विप्रो ने अपने ऐसे कर्मचारियों को जो दूसरी कंपनियों के साथ भी काम कर रहे थे नौकरी से निकाल दिया है। अब आईबीएम, इंफोसिस सहित कई अन्य आईटी कंपनियों ने संकेत दिए हैं कि वो भी ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कदम उठा सकती हैं।
विप्रो चेयरमैन को मिले Hate Mail
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार ऋषद प्रेमजी ने मूनलाइटिंग को सीधे धोखा करार दिया है। वहीं उन्होने कहा कि उनकी ट्वीट के बाद मिल रहे नफरत भरे मेल से न वो विचलित हैं। और न ही कंपनी अपनी सोच को बदलेगी। उन्होने बयान में कहा कि कुछ कर्मचारी ऐसी स्थितियों में काम करते हुए पाए गए हैं। जिससे कंपनी के अपने हितों पर गलत असर पड़ रहा था और उन्हें निकाल दिया गया है।
मूनलाइटिंग एक ऐसी स्थिति होती है जहां पर कोई शख्स एक कंपनी में काम करते हुए दूसरी कंपनी को भी सेवाएं देता है। आम तौर पर कर्मचारी अपने दूसरे काम की जानकारी अपनी कंपनी को नहीं देता है। ऐसा नहीं है कि मूनलाइटिंग के खिलाफ पूरी इंडस्ट्री है। कई कंपनियों ने साफ कह दिया है कि उनके कर्मचारी स्वीकृति लेकर अपने खाली समय मे दूसरी कंपनी के साथ काम कर सकते है। पिछले महीने ही स्विगी ने मूनलाइटिंग पर ऐसी ही एक पॉलिसी का ऐलान किया है।
बढ़ सकता है विवाद
मूनलाइटिंग को लेकर विवाद बढ़न की आशंका बन गई है। रिपोर्ट के मुताबिक कर्मचारियों के एक दल एनआईटीईएस ने कहा है कि विप्रो का कदम पूरी तरह से गलत है। और कॉन्ट्रैक्ट के नियमों को बदलने की जरूरत है। संगठन ने कहा है कि वो नौकरी से हटाए गए कर्मचारियों को न्याय दिलाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।



