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पांच राज्यों के चुनाव परिणाम पर किसान नेता राकेश टिकैत ने सभी को दी बधाई

किसान संघ नेता राकेश टिकैत ने शुक्रवार को पांच राज्यों में 2022 के विधानसभा चुनाव के नतीजों का स्वागत करते हुए कहा कि जनता का फैसला सर्वोपरि है। उन्होंने ट्वीट कर सभी को बधाई भी दी है। साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर की नई सरकारें किसानों और मजदूरों के उत्थान के लिए काम करेंगी। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता की यह प्रतिक्रिया बृहस्पतिवार को उस समय आई, जब भारतीय जनता पार्टी के उत्तर प्रदेश सहित चार राज्यों, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) के पंजाब में बहुमत हासिल करने की पुष्टि हो गई।

राकेश टिकैत के नेतृत्व में दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर साल भर तक कृषि कानून के विरोध में आंदोलन हुआ था। उस दौरान वो बीजेपी के खिलाफ मुखर रहे थे। राकेश टिकैत ने साल 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का समर्थन भी किया था।

इस बार हुए विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता विरोधी लहर का भी सामना किया। खासकर उत्तर प्रदेश में उसके बावजूद भी बीजेपी ने लखीमपुर खीरी के सभी आठ सीटों पर जीत हासिल की है। आपको बता दें कि केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा पर किसानों पर गाड़ी चढ़ाने का आरोप लगा था। इस घटना में चार किसान और एक पत्रकार की मौत हो गई थी।

उत्तर प्रदेश में बीजेपी की शानदार जीत
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में शानदार जीत से भारतीय जनता पार्टी गदगद है। कार्यकर्ताओं का उत्साह भी चरम पर पहुंच गया है। इस चुनाव में किसान आंदोलन, बेरोजगारी, महंगाई जैसे मुद्दों पर बीजेपी को घेरने की कोशिश करने वाला सपा गठबंधन 125 सीटों पर सिमट गया।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणाम यह साबित करते हैं कि 1 साल चले सबसे बड़े किसान आंदोलन का उत्तर प्रदेश के तीन जिलों मेरठ, शामली और मुजफ्फरनगर में प्रभाव रहा। पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश की 66 सीटों में से बीजेपी ने 54 सीटें जीतीं। जबकि सपा-रालोद गठबंधन 12 सीटों पर ही सिमट गया। भाजपा को पिछली बार के मुकाबले इस बार सिर्फ 8 सीटों का नुकसान हुआ।

पश्चिमी यूपी में दिखा किसान आंदोलन का असर
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के शुरुआती दो चरणों की वोटिंग जाटलैंड कहे जाने वाले पश्चिमी यूपी की सीटों पर थी. किसान आंदोलन का असर भी इन सीटों पर था. ऐसे में जाट वोटों की नाराजगी बीजेपी के लिए चिंता का सबब माना जा रहा था। क्योंकि 2017 में बीजेपी ने इन दो चरणों की 113 सीटों में से 91 पर जीत हासिल की थी।

पश्चिमी यूपी में किसान आंदोलन और गन्ना की कीमतें बड़ा मुद्दा थीं। लेकिन माना जा रहा था कि राजधानी दिल्ली के बॉर्डर पर 1 साल चले किसान आंदोलन का असर पश्चिमी यूपी में सबसे ज्यादा दिखाई पड़ सकता था। लेकिन इसके उलट नतीजे देखने को मिले।

 

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