
फ्लैश न्यूजसाइबर संवाद
पत्रकारिता का सबक़,
इसके 2-3 दिन बाद ही वह ख़बर छपी कि दानघाटी मंदिर में 51 किलो चाँदी के दो छत्र आए थे; एक समिति की ओर से और एक अमर सिंह की ओर से। अमर सिंह वाला छत्र चोरी चला गया। यह इतना हास्यास्पद आरोप था कि कोई अंधा भी इसको सही नहीं मानता।
क्योंकि जिस समय अमर सिंह का परिवार अपनी गाड़ियों से मेरे घर पर उतरा, उस समय तमाम अधिकारी, प्रेस फ़ोटोग्राफ़र और आम जनता के लोग वहाँ भारी मात्रा में खड़े थे। डेढ़ मीटर चौड़ा छत्र किसी ने उतरते नहीं देखा। कोई माचिस की डिबिया थोड़ी थी जो जेब में छिपा कर ले आते।
मैंने वो ख़बर अपने सहयोगी रजनीश को दिल्ली भेज दी। रजनीश ने उसे जब अमर सिंह को जा कर दिखाया तो उन्होंने फ़ौरन मथुरा प्रेस के लिए निम्न विज्ञप्ति जारी की जिसमें उन्होंने स्पष्ट लिखा कि उन्होंने अपनी ओर से कोई छत्र दानघाटी मंदिर में नहीं चढ़ाया था। जो छत्र उन्होंने चढ़ाया वह वही था जो श्री गिरिराज सेवक समिति ने बनवाया था।
इस प्रेस विज्ञप्ति के बाद मैंने उस अख़बार के सम्पादक से फ़ोन पर बात की और उन्हें अपने मथुरा रिपोर्टरों का प्रशिक्षण करवाने की सलाह दी। अगले दिन उस अख़बार की मथुरा टीम के कई साथी मेरे घर आए और बड़ी विनम्रता से अपनी गलती की क्षमा माँगी।
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