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देवभूमि में तीन देवदूत श्रुति, गंगा एवं जमुना

देहरादूनः दुनिया में खौफ फैलाने वाले कोरोना वायरस को “सहेली ट्रस्ट” की ये तीन लड़कियां चुनौती दे रही हैं। आज के माहौल में जब लोग महामारी के डर से घरों में बंद हैं, तब भी ये लड़कियां सड़कों पर उतर कर गरीब, असहाय बच्चों और महिलाओं की मदद कर रही हैं। इतना ही नहीं ये तीनों लड़कियां बच्चों की पढ़ाई एवं महिलाओं के उत्थान के लिए भी लगातार प्रयासरत हैं।

देश में जब रोजगार के छिन जाने की चर्चा चल रही है। जब युवाओं की बेरोजगारी का हल्ला हो रहा है, तब कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो महामारी में परेशान और हताश लोगों की दिक्कतों को समझते हुए खुद बड़ी-बड़ी नौकरियों को ठुकरा कर लोगों की मदद कर रहे हैं।

ऐसी ही कहानी इन लड़कियों की भी है, जो कोरोना को चुनौती देते हुए मजलूमों और असहाय लोगों की मदद कर रही हैं। इन दिनों यह तीनों लड़कियां शहर में जगह-जगह जाकर लोगों को खाना बांट रही हैं। वैसे तो इन लड़कियों की प्राथमिकता महिलाओं और बच्चों को सहायता देने की है। मगर इस दौर में ये पुरुषों की मदद करने से भी पीछे नहीं हट रही हैं।

इनमें श्रुति कौशिक की तरफ से समाज सेवा को लेकर इस सोच की शुरुआत की गई। खास बात यह है कि श्रुति पेशे से इंजीनियर हैं। पुणे में कॉलेज प्लेसमेंट के तौर पर उन्हें एक निजी कंपनी में नौकरी मिली थी। मगर श्रुति का ध्यान हमेशा ही लोगों की सेवा करने पर रहा।

इस दौरान भी वह बच्चों और महिलाओं की स्थिति को देखते हुए उनकी मदद की कोशिश करती रहीं। लेकिन नौकरी हमेशा इसके आड़े आती रही। ऐसे में उन्होंने इस नौकरी को ठुकरा दिया। इसके बाद उत्तराखंड में कुछ विभागों में सरकारी नौकरी को क्वालीफाई करने के बाद उन्होंने त्याग दिया।

आखिरकार 2013 में उन्होंने समाज सेवा की अकेले ही शुरुआत की, जो आज भी जारी है। श्रुति के इस प्रयास में गंगा और जमुना नेगी भी जुड़ गईं। इन तीनों दोस्तों ने सहेली ट्रस्ट बनाकर लोगों की सेवा करने की ठानी। साथ ही गांव-गांव जाकर बच्चों को पढ़ाना भी शुरू किया।

इन्होंने महिलाओं के विकास के कार्यक्रमों को भी आगे बढ़ाया। गंगा नेगी समाज सेवा में ही कुछ करना चाहती थीं। इसीलिए वो मास्टर इन सोशल वर्क कर रही हैं। उधर जमुना नेगी मास्टर इन हिंदी कर रही हैंं खास बात यह है कि वह एक एथलीट भी हैं, जिसने दूसरे देशों में प्रतिभाग भी किया है।

जल्द जमुना लद्दाख में प्रतिभाग करने वाली हैं, जिसके बाद वे फ्रांस भी जाएंगी। अपने इन प्रयासों के बीच अब महामारी में उन्होंने महिलाओं और बच्चों के हालातों पर चिंतन करते हुए उनकी मदद का काम शुरू किया है।

यह तीनों मारुति वैन चलाते हुए एक जगह से दूसरे जगह जाकर जरूरतमंदों को खाना बांटती हैं। बड़ी बात यह भी है कि जब लोग अपने बच्चों को घरों में रखकर कोरोना से बचने की कोशिश कर रहे हैं, इस दौर में इन तीनों का परिवार उन्हें समाज सेवा के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।

जो कि इनकी बड़ी ताकत है। यह तीनों सहेलियां न केवल शहर भर में घूमकर बच्चों, महिलाओं और दूसरे वर्ग के लोगों की मदद कर रही हैं। बल्कि अस्पतालों में जाकर भी मरीजों के तीमारदार को खाना दे रही हैं। साथ ही फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में सड़कों पर ड्यूटी दे रहे पुलिसकर्मियों को भी उनकी तरफ से खाना और पानी दिया जा रहा है।

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