
गूगल को देना है 1338 करोड़ का जुर्माना, ऑर्डर रद्द करवाने पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल ने सुप्रीम कोर्ट में नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के एक आदेश को चुनौती दी है। ये मामला कॉम्प्टीशन कमीशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) के गूगल पर लगाए गए 1,338 करोड़ रुपये के जुर्माने से जुड़ा है। जिसे कंपनी ने एनसीएलएटी में चुनौती दी थी, और एनसीएलएटी ने आदेश को बरकरार रखा था।
सीसीआई ने गूगल पर अपनी स्थिति का नाजायज फायदा उठाने को लेकर ये जुर्माना लगाया था। सीसीआई का कहना है कि गूगल एंड्रॉइड का इस्तेमाल करने वाले डिवाइस मेकर्स के साथ मोबाइल एप डिस्ट्रिब्यूशन एग्रीमेंट करते वक्त उन्हें दूसरे एप्स इंस्टाल करने से हतोत्साहित करता है। खासकर के अपने प्रतिद्वंदी कंपनियों के।
गूगल ने सीसीआई के आदेश को एनसीएलटी में चुनौती दी थी। उसका कहना है कि वह डिवाइस मेकर्स को दूसरे एप्स डालने से प्रतिबंधित नहीं करती है। सीसीआई का लगाया 1338 करोड़ रुपये का जुर्माना ‘अनुचित’ है। हालांकि एनसीएलएटी ने सीसीआई के आदेश को बरकरार रखा है। एनसीएलएटी का कहना है कि सीसीआई का ऑर्डर ‘न्याय’ के ‘प्राकृतिक सिद्धांत’ का उल्लंघन नहीं करता है। अब गूगल ने एनसीएलएटी के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
सुप्रीम कोर्ट में गूगल पर जुर्माने का मामला
एनसीएलएटी ने गूगल के खिलाफ जो 4 जनवरी को आदेश सुनाया था। उस पर 19 जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगाने से मना कर दिया था। साथ ही एनसीएलएटी को निर्देश दिया था कि वह 31 मार्च तक गूगल की अपील पर निर्णय करे। सुप्रीम कोर्ट ने सीसीआई की उन 10 गाइडलाइंस पर भी रोक लगाने से इंकार कर दिया था। जो गूगल पर जुर्माना लगाते वक्त सीसीआई ने 20 अक्टूबर 2022 के आदेश में कही थीं। ये गाइडलाइंस नॉन-मोनेटरी है।
बाद में सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश के मुताबिक एनसीएलएटी ने गूगल के मामले की सुनवाई फरवरी में शुरू की। इसमें गूगल ने कहा कि उसके मोबाइल एप्लीकेशन डिस्ट्रिब्यूशन एग्रीमेंट के मुताबिक एंड्रॉइड स्मार्टफोन्स पर पहले से उसकी ऐप्स को इंस्टाल करना ‘अनुचित’ नहीं है। क्योंकि वह दूसरे एप्स को इंस्टॉल करने से नहीं रोकता है, वहीं फोन में दूसरी एप्स के लिए पर्याप्त स्पेस रहता है।
हालांकि एनसीएलएटी ने गूगल की इस दलील को नाकाफी पाया और सीसीआई के आदेश को बरकरार रखते हुए 1338 करोड़ रुपये जुर्माना अदा करने के लिए कहा. इस आदेश को चुनौती देने के लिए गूगल ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।