
ईरान ने मनाई इस्लामिक क्रांति की 43वीं वर्षगांठ, हजारों कार-बाइक सवारों ने परेड में लिया हिस्सा
ईरान की 1979 की इस्लामिक क्रांति की 43वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में शुक्रवार को हजारों कार और मोटरबाइक सवारों ने परेड में हिस्सा लिया। हालांकि कोरोना वायरस महामारी की चिंताओं के कारण लगातार दूसरे वर्ष पैदल यात्री कम ही बाहर निकले। राजधानी तेहरान में कई जगहों से जुलूस शुरू हुए। जो विभिन्न मार्गों से होते हुए ‘आज़ादी स्क्वायर’ पहुंचे। राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी दिन में एक मस्जिद में जुमे की नमाज के दौरान भाषण देंगे।
यह वर्षगांठ ऐसे समय मनाई जा रही है जब विश्व शक्तियों के साथ ईरान के परमाणु समझौते को फिर से शुरू करने के लिए वियना में बातचीत जारी है। अमेरिका (US) के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2018 में समझौते से अपना हाथ खींच लिया था। और फिर से प्रतिबंध लगा दिए थे। इसके उत्तर में ईरान धीरे-धीरे अपनी प्रतिबद्धताओं से मुकर गया। इस्लामिक क्रांति की वर्षगांठ मनाने के लिए जुटी भीड़ ईरानी ध्वज लहरा रही थी और नारे लगा रही थी। उनके हाथों में तख्तियां थीं। जिन पर लिखा था।
क्या थी इस्लामिक क्रांति?
ईरान की इस्लामिक क्रांति साल 1979 में हुई थी। इस दौरान ईरान के शाह मोहम्मद रजा पहलवी को सत्ता से बेदखल कर दिया गया था। इसके बाद आयतुल्लाह रुहोल्लाह खामनेई के अधीन एक धार्मिक गणतंत्र की स्थापनी की गई। इस्लामिक क्रांति से पहले शाह 1941 से ईरान की गद्दी संभाल रहे थे। लेकिन उन्हें धार्मिक नेताओं की तरफ से आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा था। दरअसल, शाह ईरान को एक आधुनिक मुल्क के तौर पर तैयार करना चाहते थे। लेकिन इस बात से धार्मिक नेताओं को चिढ़ पैदा होने लगी।
धार्मिक नेताओं ने उन्हें अमेरिका का पिट्ठू कहना शुरू कर दिया। आयतुल्लाह खामनेई शाह के सुधारों के खिलाफ खड़े थे। यही वजह है कि उन्हें गिरफ्तार कर देश से बाहर कर दिया गया। हालांकि, ईरान में लोगों के बीच असंतोष बढ़ता चला गया और शाह ने लोगों की आवाज को दबाने के लिए दमन का रास्ता अख्तियार कर लिया।
दिसंबर 1978 में बड़ी संख्या में लोग शाह के खिलाफ हो गए। लेकिन इस बार सेना ने कार्रवाई से इनकार कर दिया। फिर प्रधानमंत्री डॉ शापोर बख़्तियार की मांग पर सोलह जनवरी 1979 को शाह और उनकी पत्नी ईरान छोड़कर चले गए। इसके बाद खामेनेई ईरान लौटे और ईरान एक इस्लामिक देश बन गया।
27 फीसदी लोगों को लगी तीसरी बूस्टर डोज
महामारी के कारण लगातार दूसरे साल यह समारोह वाहनों के जुलूस तक ही सीमित रहा। अधिकारियों ने कहा कि देश में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन का व्यापक प्रसार हो चुका है और अस्पतालों को इसके लिए तैयार रहने को कहा गया है।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 1,30,000 से अधिक लोगों की मौत के साथ ईरान, राष्ट्रीय स्तर पर मौत के मामले में मध्य एशिया में सबसे ऊपर है। ईरान का दावा है कि उसकी 18 साल से अधिक उम्र की करीब 80 फीसदी आबादी को कोविड रोधी टीके की दोनों खुराक लग चुकी हैं और 27 फीसदी लोगों को तीसरी ‘ऐहतियाती खुराक’ लग चुकी है।