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यू.पी.पुलिस को कर्मियों की संख्या की जानकारी नहीं
यू.पी.पुलिस
यू.पी.पुलिस के पुलिस थाने रिकॉर्ड को सही से न रखने के लिए खासे बदनाम हैं। यहां पर सूचना के अधिकार के तहत मांगी गयी सूचना में वादी को निराशा ही हाथ लगती है। रिकॉर्ड न रखने की बीमारी केवल पुलिस थानों तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह बीमारी यू.पी.पुलिस मुख्यालय इलाहाबाद और पुलिस महकमे के मुखिया यानि कि पुलिस महानिदेशक के कार्यालय तक फैली हुई है।
यह कहना है राजधानी के आरटीआई कार्यकर्ता संजय शर्मा का, जिन्होंने बीते 17 जनवरी को पुलिस महानिदेशक (Police Headquarters) कार्यालय में एक आरटीआई दायर की थी। इस पर यू.पी.पुलिस मुख्यालय इलाहाबाद के पुलिस उपाधीक्षक और जनसूचना अधिकारी द्वारा बीते 27 जुलाई को दिए गए जबाब ने पुलिस की लापरवाही उजागर की है।
संजय ने बताया कि यू.पी.पुलिस मुख्यालय इलाहाबाद के पुलिस उपाधीक्षक ने उनको पुलिस मुख्यालय इलाहाबाद के अपर पुलिस अधीक्षक स्थापना का एक पत्र भेजा है, जिससे यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि पुलिस मुख्यालय के पास यूपी के आईपीएस कैडर, पीपीएस सेवा कैडर, पुलिस इंस्पेक्टर, पुलिस सब इंस्पेक्टर, पुलिस असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर, सिपाही और हवलदार के सृजित पद, भरे पद और खाली पद की कोई भी जानकारी नहीं है।
इसी पत्र से यह भी खुलासा हुआ है कि पुलिस मुख्यालय के पास यू.पी.पुलिस के अधिकारियों और कर्मचारियों की रैंकवार कार्यरत व्यक्तियों में से पुरुष, महिला, किन्नर, हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई व्यक्तियों की संख्या की भी कोई भी जानकारी नहीं है।
संजय कहते हैं कि यू.पी.पुलिस मुख्यालय के जबाब से पुलिस विभाग की अपने खुद के कार्मिकों के प्रति संवेदनहीनता भी सामने आ रही है क्योंकि उनको बताया गया है कि पुलिस महकमे के पास पिछले 10 वर्षों में सेवाकाल में ही मर जाने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या की कोई भी सूचना नहीं है। संजय ने सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर पुलिस मुख्यालय की इस लापरवाही पर कार्रवाई की मांग की है।
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