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बालू खनन रोक बिहार में सफेद बालू का संकट कुशीनगर में
बिहार में रोक लगने से कुशीनगर जिले में सफेद बालू का संकट अब और गहरा जाएगा। वजह यह कि पड़ोसी प्रांत बिहार के पश्चिमी चंपारण में भी बालू खनन व परिवहन पर आगामी 30 सितंबर तक के लिए रोक लगा दी गई है। यह कार्रवाई पर्यावरण सुरक्षा व बाढ़ की बिगड़ी स्थिति को ध्यान में रखकर की गई है। इसके अलावा बिहार के वन विभाग ने भारत सरकार को पत्र भेजकर वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना क्षेत्र को सेंसिटिव जोन घोषित करने की मांग की है। अगर इस पर अमल हुआ तो खड्डा क्षेत्र में भी बालू खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लग जाएगा। बालू खनन व परिवहन पर रोक लगाने के लिए खड्डा क्षेत्र के विधायक जटाशंकर त्रिपाठी ने बिहार सरकार को पत्र भेजा था।
बालू खनन पर रोक
पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से एनओसी नहीं मिलने व अनुबंध खत्म होने के कारण जिले में बालू खनन पर पूर्ण प्रतिबंध है। बीजेपी के सत्ता में आते ही इस रोक पर पूरी सख्ती दिखाई गई। यहां तक कि अवैध बालू परिवहन के आरोप में दो थानेदारों समेत कई पुलिस कर्मियों पर कठोर कार्रवाई तक हो गई। हालांकि इस सख्ती के बाद भी बिहार प्रांत के पश्चिमी चंपारण जिले के विभिन्न हिस्सों से जिले में चोरी छिपे बालू का परिवहन हो रहा था। जिला प्रशासन ने भी टोकन सिस्टम के जरिए सरकारी निर्माण कार्यों के लिए बालू उपलब्ध कराने की व्यवस्था की थी। परंतु खड्डा के विधायक जटाशंकर त्रिपाठी ने सीमावर्ती इलाके में हो रहे बालू खनन व इसके कुशीनगर जिले में हो रहे परिवहन पर प्रतिबंध के लिए बिहार के मुख्यमंत्री को पत्र भेजा था।
इसमें विधायक ने अवैध बालू खनन से नदी तथा बंधे को हो रही क्षति का हवाला देते हुए इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। इसका संज्ञान लेते हुए बिहार सरकार ने आगामी 30 सितंबर तक पश्चिमी चंपारण के सीमावर्ती इलाकों में बालू खनन तथा यहां से कुशीनगर जिले में बालू परिवहन पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया है। इस संबंध में बिहार के पश्चिमी चंपारण के जिला खनन पदाधिकारी मोहम्मद रियाजुद्दीन ने बताया कि पर्यावरण सुरक्षा के लिहाज से 30 सितंबर तक सभी तरह के खनन व परिवहन पर रोक लगाई गई है। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व को भी सेंसिटिव जोन घोषित करने के लिए केंद्र सरकार को पत्र भेजा गया है। बिना अनुमति के खनन व परिवहन नहीं होने दिया जाएगा।
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