जल्दबाजी में है विपक्ष, 100 दिन का भी नहीं दिया मौका

जल्दबाजी में है विपक्ष, बसपा-कांग्रेस-सपा,  29 को लगायेगी राज्यपाल से गुहार

लखनऊ। यूपी में समूचा विपक्ष जल्दबाजी में हैं। वह यूपी में सत्तारूढ योगी सरकार से 65 दिनों में ही उब गया है। कानून व्यवस्था को लेकर विपक्षी दल बहुजन समाज पार्टी एंव कांग्रेस ने सड़क पर उतरकर आंदोलन शुरू कर दिया है।

जबकि समाजवादी पार्टी 29 मई को प्रदेश सरकार के खिलाफ राज्यपाल से गुहार लगाने का ऐलान कर दिया है। जबकि राजनीतिक विशेषज्ञांे का मानना है कि नयी सरकार को कम से कम 100 दिन का समय दिया जाना चाहिए।

सूबे में योगी सरकार का गठन गत 19 मार्च को हुआ था। विरोधी दल बमुश्किल से दस दिन शांत रहे। इसके बाद विरोधी दलों ने सरकार पर हमला तेज कर दिया।

हाल में जीएसटी का विशेष सत्र विधानसभा में चला इस दौरान भी समूचा विपक्ष सरकार पर हमलावर रहा। इस हमले के पीछे सिर्फ एक ही वजह है वह है कानून व्यवस्था।

अब इसी कानून व्यवस्था लेकर विरोधी दलों ने सडक पर आंदोलन तेज कर दिये है।
बीते एक माह से सहारनपुर जनपद जातीय हिंसा में जल रहा है।

यह संघर्ष कई बार यहां के दलितों एवं ठाकुरों के बीच हो चुका है। लखनऊ एवं दिल्ली में बैठकर पूरे देश की राजनीति करने वाली बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती गत दिनों सहारनपुर गयी।

उन्होंने दलितों द्वारा आयोजित सभा को संबोधित किया। इस दौरान योगी सरकार पर तीखा हमला बोला। इसके बाद यहां पर जातीय हिंसा पुनः भडक गयी।

इसी तरह कांग्रेस ने भी गत 26 मई को मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने एवं योगी सरकार की कानून व्यवस्था के खिलाफ उग्र आंदोलन किया। पार्टी कार्यालय से विधान भवन घेरने जा रहे कार्यकर्ताओं को जब पुलिस ने रोका तो उनकी तीखी झडप हुई।

इस दौरान पुलिस को भीड कोे तितर बितर करने के लिए पानी की बौछार डालनी पडी। इसी तरह समाजवादी पार्टी भी योगी सरकार के खिलाफ ताल ठोक कर 29 मई को सडक पर उतरने जा रही है।

इस दौरान प्रदेश के सभी जनपदों में कार्यकर्ता पार्टी कार्यालय से मार्च करते हुए जिलाधिकारी आफिस जायेंगे। यहां पर राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौपेंगे।

इस ज्ञापन जिलेवार 20 मार्च से अब की सभी अपराधिक घटनाओं को शामिल किया जायेगा। मालूम हो कि पूर्व सीएम अखिलेश यादव प्रदेश के सभी बडे अपराधों की अपने नेताओं से जांच कराके चार्जशीट तैयार कर रहे है।

वहीं राजनीतिक विशेषज्ञ प्रो. एसएन यादव ने आईपीएन को बताया कि किसी भी नवगठित सरकार को कम से कम 100 दिन का समय दिया जाना चाहिए। 22 करोड़ आबादी वाला इतना बडा प्रदेश है।

यहां की लचर कानून व्यवस्था की बीमारी बहुत पुरानी है। इसे ठीक करने के लिए सरकार को कुछ समय और विपक्ष को देना चाहिए। उन्होनंे कहा कि विपक्ष कुद ज्यादा जल्दबाजी में है जो ठीक नहीं है। इस विरोध का बहुत ज्यादा असर जनता के बीच नहीं पडे़गा।

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