चुनावी साल में ‘गांधी परिवार’ को फिर क्यों आयी अमेठी की याद
उत्तर प्रदेश की सियासत में अमेठी का जिक्र ना हो। ऐसा संभव नहीं है और अमेठी की राजनीति में गांधी परिवार की बात ना हो। इसकी कल्पना नहीं की जा सकती है। क्योंकि कभी यूपी की सियासत में, कभी ये दोनों एक दूसरे के पूरक हुआ करते थे। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के गढ़ कहे जाने वाले अमेठी में गांधी परिवार का तिलिस्म खत्म हो गया और बीजेपी का जनाधार बढ़ता गया। अब राज्य में विधानसभा चुनाव होने है।
और गांधी परिवार के दो सदस्य अमेठी पहुंचकर पदयात्रा के जरिए खोई जमीन को वापस पाने की जद्दोजहद में लगे है। वहीं चर्चा भी शुरू हो गई है कि क्या प्रियंका गांधी अमेठी से चुनाव लड़ने की तैयारी में है। क्योंकि कांग्रेस के नेता इस बात की संभावना जता चुके हैं। कि यूपी चुनाव में प्रियंका गांधी अपनी किस्मत आजमाएंगी।
असल में लोकसभा चुनाव हारने के 29 महीने के लंबे अंतराल के बाद राहुल गांधी के अमेठी पहुंचे है। वहां उन्होंने केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार पर निशाना साधा। हालांकि अमेठी में राहुल गांधी ने कोई नया बयान नहीं दिया। ये बयान पूर्व में दिए गए बयान ही है।
जो उन्होंने राजस्थान और देहरादून में दिए थे। राज्य में चुनाव होने हैं और चुनाव से ठीक पहले गांधी परिवार का अमेठी में आना कई तरह के सवाल पैदा कर रहा है। क्योंकि पिछले 29 महीने कांग्रेस के बड़े नेता और गांधी परिवार अमेठी से दूर रहा है। सोनिया गांधी भी महज एक बार अमेठी आयी है।
अमेठी गांधी परिवार की सियासत की धुरी हुआ करता था। वहीं आज इस सच्चाई को नकारा नहीं जा सकता है कि अमेठी में कांग्रेस अपने अस्तित्व से जूझ रही है। जिले में विधायक तो दूर की बात है। पंचायत सदस्य भी कांग्रेस के नहीं है। यही हाल रायबरेली का भी है। जहां राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी सांसद है। और वहां पर भी कांग्रेस का किला दरक गया है और 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अमेठी की तरह कमजोर हो सकता है। क्योंकि अमेठी की तरह रायबरेली में भी कांग्रेस के सेनापति कांग्रेस को अलविदा कह चुके है।
क्या अमेठी के जरिए रायबरेली को बचाने की है कोशिश
जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव में राज्य में कांग्रेस की स्थिति बहुत खराब है। वहीं अगर राज्य में कांग्रेस अमेठी और रायबरेली में अच्छा प्रदर्शन करती है तो इसका संदेश पूरे राज्य में जाएगा। हालांकि कांग्रेस को इन दोनों ही जिलों में खुद को स्थापित करने के लिए फिर से मेहनत करनी पड़ेगी। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की अमेठी में पदयात्रा को इसी नजर से देखा जा सकता है।
क्या प्रियंका अमेठी से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में है
दरअसल कुछ महीने पहले कांग्रेस के कई नेताओं ने बयान दिए थे। कि कांग्रेस महासचिव और यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी यूपी विधानसभा के चुनाव में अपनी किस्मत आजमा सकती है। चर्चा थी कि प्रियंका अमेठी से चुनाव लड़ सकती है। लेकिन प्रियंका ने पिछले दिनों इस पर कुछ जवाब नहीं दिया।
लेकिन कांग्रेस में नेताओं का एक वर्ग प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने के पक्ष में था। क्योंकि कांग्रेस के नेताओं को लगता है कि प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने से राज्य में कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनेगा। लिहाजा ये भी हो सकता है कि कांग्रेस ने अपने रणनीति के लिए अमेठी को चुना हो। ताकि आसानी से वहां पर जमीन तैयार की जा सके।
चुनाव हारने के जुलाई 2019 में अमेठी आए थे राहुल
आज राहुल गांधी की पदयात्रा और 2019 के लोकसभा चुनाव में जब राहुल गांधी अमेठी से हार गए तो उसके बाद राहुल गांधी जुलाई 2019 को अमेठी आए थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि आप के साथ संबंध परिवार के हैं। लेकिन इसके बाद राहुल गांधी कभी अमेठी नहीं आए।
अमेठी में तीसरी बार पदयात्रा कर रहे हैं राहुल गांधी
असल में 2014 में केन्द्र से यूपीए सरकार की विदाई के बाद राहुल अमेठी में आज तीसरी बार पदयात्रा कर रहे है। इससे पहले उन्होंने मेगा फूड पार्क प्रोजेक्ट रद्द होने के बाद पहली बार 2015 को 3 किमी की पदयात्रा की थी। जबकि इसके बाद 2018 में उन्होंने रूट डायवर्ट किए जाने के विरोध में बाबा मंदिर से गौरीगंज पोस्ट ऑफिस रोड तक डेढ़ किमी की पदयात्रा की थी।



