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मनोज सिन्हा ने जे&के को कराया अपनी कार्यसंस्कृति का साक्षात्कार

(पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई के कार्यकाल 1999 से 2004 तक सांसद मनोज सिन्हा ने अपनी कार्य संस्कृति के दम पर देश में पहचान बनाई। 2014 में नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में बनी सरकार के दौरान रेल राज्य मंत्री व संचार मंत्री स्वतंत्र प्रभार रहते हुए तमाम परियोजनाओं को मूर्त रूप देने का काम किया। खास बात यह रही कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री स्वर्गीय पंडित जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में प्रस्तावित ताड़ीघाट गाज़ीपुर रेल लाइन परियोजना को 2015 में दिया अंतिम स्वरूप।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मूल मंत्र “खुद शिलान्यास खुद ही लोकार्पण” के आधार पर काम करने वाले सिन्हा बात से अधिक काम में विश्वास रखते हैं। एलजी के तौर पर मात्र एक माह के कार्यकाल में जम्मू कश्मीर में इनकी कार्य संस्कृति में तमाम ऐसे कार्य हुए हैं, जिससे इनकी छवि में और निखार होता नजर आ रहा है)

राजनीति के सौम्य एवं सभ्य चेहरा माने जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री व जम्मू कश्मीर के नए लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने अपने पूर्व परिचित अंदाज में कार्य संस्कृति का विस्तार करते हुए कश्मीरियों के मन में घर सा बना लिया है। अपनी नियुक्ति से महज 30 दिनों के भीतर ही लोकतंत्र की सबसे छोटी इकाई पंचायत, बीडीसी व नगर निकायों और राजनीतिक संगठनों के प्रतिनिधियों से लेकर लोक सेवा आयोग में चयनित कश्मीरी युवाओं से लगायत व्यापार मंडल, खिलाड़ी, ट्रांसपोर्टर, उद्धमि, महिला एवं युवा संगठन, स्थानीय निर्वाचन, आमजन, मंदिर, मस्जिद, पत्रकार, शिक्षाविद व धर्मगुरुओं सहित सबसे भेंटवार्ता ही नहीं स्थापित किया, बल्कि उनसे जम्मू कश्मीर के विकास के बाबत सुझाव भी मांगे।

जिस पर तत्काल प्रभाव से कार्य भी शुरू करने का ईमानदारी पूर्वक प्रयास प्रारंभ किया जा चुका है। इसके साथ ही राशन कार्ड, आधार कार्ड, बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं के विषय में चिंतन व क्रियान्यवन करते हुए अपनी कार्य संस्कृति का साक्षात्कार करा दिया।

गौरतलब हो कि गत 6 अगस्त को पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा को जम्मू कश्मीर लेफ्टिनेंट गवर्नर पद पर नियुक्त किया गया। तत्कालीन उप राज्यपाल मुर्मू को अचानक से वहां हटाकर मनोज सिन्हा की नियुक्ति एक तरफ जहां कुछ लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना। लेकिन जो लोग जरा सा भी मनोज सिन्हा के विषय में समझते थे, उन्हें आभास हो गया कि प्रधानमंत्री के सपनों के जम्मू कश्मीर का निर्माण अब शुरू होगा।

क्योंकि 1999 से 2004 तक पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी बाजपेई के प्रधानमंत्री कार्यकाल में लोकसभा सदस्य मनोज सिन्हा ने कर्तव्य परायणता व ईमानदारी की पराकाष्ठा स्थापित किया। जिन्हें देश की प्रतिष्ठित पत्रिका द्वारा देश के सर्वश्रेष्ठ 10 ईमानदार सांसदों में एक चुना गया। इसके बाद वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में रेलराज्य मंत्री जैसे पद से उनकी जिम्मेदारी तय हुई। जिसमें उन्होंने लगातार विकास के नए आयाम स्थापित करते हुए अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। स्थिति यह रही की कुछ दिन बाद ही उन्हें संचार मंत्रालय स्वतंत्र प्रभार का बड़ी जिम्मेदारी दे दी गई।

सिन्हा द्वारा अपने 5 वर्ष के मंत्रित्वकाल के दौरान तमाम परियोजनाओं का शिलान्यास ही नहीं किया गया बल्कि उन का लोकार्पण भी कर दिया गया। इसके साथ ही एक बड़ी उपलब्धि शुमार हुई जब देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की कार्यकाल से लंबित ताड़ीघाट गाज़ीपुर रेल परियोजना का कार्य मनोज सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों भूमि पूजन करवाकर शुरू कराया जो लगभग अब मूर्त रूप लेने को तैयार हो चुका है।

ऐसे में जम्मू कश्मीर की जिम्मेदारी संभालने के बाद से लगातार अपनी चिर परिचित कार्यशैली से मनोज सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर के लोगों के मन में घर सा बना लिया। स्थिति यह हो गई कि एक माह के कार्यकाल में गणमान्य से जनसामान्य लोगों से मिलकर सुझाव आमंत्रित करने के साथ ही वर्षों से लंबित परियोजनाओं को पूर्ण कराया जाना उनकी प्राथमिकता रही।

खास बात है कि अगर एक तरफ बड़ी परियोजनाएं उनके निशाने पर रही वहीं छोटे व मूलभूत आवश्यकताओं को भी उन्होंने दरकिनार नहीं किया। स्थिति आ रही कि उधमपुर श्रीनगर बारामुला रेलवे लाइन योजना की समीक्षा बैठक, सांसद विधायक व क्षेत्रीय सामुदायिक, पहाड़ी सांस्कृतिक कल्याण मंच के नेताओं के साथ बैठक किये। आधा दर्जन स्थानों पर वाईफाई कनेक्टिविटी की व्यवस्था, आंतरिक सुरक्षा प्रबंधन को लेकर डीजी सीआरपीएफ के साथ बैठक किया गया।

उन्होंने जम्मू और कश्मीर कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020 के मसौदे को मंजूरी दी जो आम कश्मीरियों के जीवन विकास के बावत में मील का पत्थर साबित होगा। श्री सिन्हा द्वारा कृषि उपज, पशुधन विपणन की वस्तुस्थिति की जानकारी व सड़क परियोजनाओं के साथ ही फास्ट ट्रैक कोर्ट, नवोदय विद्यालय, हॉस्पिटल का निरीक्षण के साथ ही व्यवस्थाओं में आमान परिवर्तन किया गया।

सचिवालय निरीक्षण, जम्मू कश्मीर में भारी बरसात से हुए नुकसान का आकलन व बचाव के तैयारियों का जायजा। जिला शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान के साथ ही श्रम रोजगार विभाग की बैठक। वैष्णो माता मंदिर निरीक्षण के साथ ही हजरत बल तीर्थ स्थल का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं की जानकारी लेना उनकी प्राथमिकता में शामिल रहे। इसके साथ ही जनप्रतिनिधियों, निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक ही नहीं बल्कि उनसे सुझाव मांगकर जम्मू कश्मीर के विकास योजना बनाना शामिल रहे।

एक तरफ जहां उन्होंने लोगों के साथ मिल बैठकर एक विश्वास जगाने का काम किया हुआ। वही औद्योगिक इकाई स्थापना के लिए टाटा टेक्नोलॉजी टीमक जम्मू कश्मीर में निरीक्षण ही नहीं किया गया बल्कि औद्योगिक विकास के लिए फूड प्रोसेसिंग आईटी पार्क में 30 परियोजनाओं की स्थापना व तकनीकी शिक्षा में सुधार के लिए इमानदारी पूर्वक कार्य प्रारंभ कर दिए गए।

जम्मू कश्मीर के प्रमुख पत्रकार, इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया समूह व संगठन के लोगों के साथ ही बैठक कर उनसे सुझाव आमंत्रित किए गए। प्रदेश के नए उप राज्यपाल की यह कार्यप्रणाली व कार्यशैली वहां के स्थानीय लोगों के लिए कौतूहल का विषय बन सकती है। लेकिन जानकारों के लिए यह मनोज सिन्हा की कार्य संस्कृति रही है। जिसके माध्यम से उन्होंने जम्मू कश्मीर में विकास की नई इबारत लिखनी शुरू कर दी है।

गणमान्य से लेकर जनसामान्य तक से सीधा संवाद स्थापित कर कश्मीरियों का जीता विश्वास-खजुरिया

अपनी नियुक्ति से महज एक माह के भीतर जम्मू कश्मीर के लगभग सभी सामाजिक व प्रशासनिक संगठनों से लगायत आम लोगों तक से संवाद स्थापित कर अपनी चिरपरिचित अंदाज में कार्य संस्कृति का साक्षात्कार कराने वाले मनोज सिन्हा के संबंध में जम्मू कश्मीर के वरिष्ठ पत्रकार सचिन खजूरिया ने बताया कि जनसामान्य से लेकर गणमान्य तक से सीधा संवाद स्थापित कर उन्होंने कश्मीरियों का विश्वास ही नहीं जीता बल्कि मन में घर सा बना लिया है।

खासकर उड़नखटोला (हेलीकॉप्टर) छोड़ सड़क मार्ग से यात्रा करने वाले व लोगों के लिए अपने दरवाजे खुले रखने का एलान ही नहीं बल्कि क्रियान्वयन करने वाले श्री सिन्हा आज जम्मू कश्मीर के जन-जन में इतने अल्पकाल में ही मनोज सिन्हा एक स्थानीय नेता, प्रशासक व अभिभावक की तरह लोकप्रिय हो गए हैं। जो उनकी कार्यशैली व कार्य संस्कृति की देन है।

(लेखक श्रीराम जायसवाल स्तम्भकार व सू0वि0 उ0प्र0 सरकार से मान्यता प्राप्त पत्रकार हैं।)
मो-9044180000

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