फ्लैश न्यूजसाइबर संवाद
मजदूरों की बिवाइयों से झाँकता राष्ट्रवाद !——
इस कहानी से झांकते नैतिक पतन, राजनीतिक उदासीनता तथा बात को गोल-मोल घुमाकर मनचाहा अर्थ देने की कवायद को अपने इतिहास में दर्ज करते हुए हमारे भावी इतिहासकार लिखें कि इस वक्त राज्य सरकारें नई-नई तरकीब ईजाद कर रही थीं ताकि मजदूरों को बंधक बनाकर रखा जा सके।
विपक्षी दल अपने प्रमुख की चमत्कार-शक्ति की अराधना में व्यस्त थे और सत्ताधारी पार्टी ऐन इसी वक्त खबरों को अजब-गजब रंग देकर देश की एक मनभावन तस्वीर बनाकर दर्शक बने नागरिकों के आगे परोस रही थी। हमारा इतिहासकार दर्ज करेगा कि इस प्रकरण में तथ्य इतने साफ और एकदम से आंखों के आगे थे कि आप किसी भ्रम में पड़ना चाहें तो भी तथ्यों के आगे आपकी एक ना चले।
और, हमारा भावी इतिहासकार सवाल करेगा कि क्या हम-आपने अपनी आंखों पर कोई पट्टी बांध रखी थी ताकि लॉकडाउन की हमारी शांति में कोई खलल ना पड़े ?
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