
देश की सशक्त महिला राजनेता रहीं सुषमा स्वराज के बारे में जानें ये बातें
भारत की सबसे प्रसिद्ध राजनेताओं में से एक सुषमा स्वराज भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन लोगों के दिलों में आज भी उनका नाम और उनकी छाप उतनी ही गहरी थी। जैसा वह छोड़कर गई थीं। सुषमा स्वराज की आज जयंती है। 14 फरवरी 1952 को जन्मी सुषमा स्वराज का जब निधन हुआ तो वह देश की विदेश मंत्री थीं। साल 2019 में दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई। उन्हें सबसे अच्छे विदेश मंत्री के तौर पर जाना जाता है।
सुषमा स्वराज वैसे तो मोदी सरकार में मंत्री थीं। लेकिन उनकी पहचान पार्टी के नाम से नहीं, बल्कि उनके काम से होती थी। वह एक ऐसी नेता थीं। जो अपनी दरियादिली और सहानुभूति के लिए जानी जाती थीं। उन्होंने अपने कामों को राजनीतिक गतिविधियों से दूर रखा। सुषमा स्वराज हर महिला के लिए एक प्रेरणा हैं। चलिए जानते हैं देश की लोकप्रिय नेता सुषमा स्वराज के जीवन से जुड़े रोचक बातें।
सुषमा स्वराज की शिक्षा और करियर
सुषमा स्वराज ने पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से वकालत की पढ़ाई की थी। उनके पास संस्कृत और राजनीति विज्ञान में डिग्री भी है। इतना ही नहीं देश की शीर्ष अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट में एक वकील के तौर पर उन्होंने अभ्यास किया था। बाद में 1970 के दशक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के साथ उन्होंने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की।
सुषमा स्वराज का राजनीतिक जीवन
1977 में सुषमा स्वराज ने हरियाणा सरकार में शिक्षा मंत्री के तौर पर पद ग्रहण किया। यह एक बड़ी उपलब्धि है। कि मात्र 25 साल की उम्र में वह देश की सबसे कम उम्र की मंत्री बनीं। दो साल में साल 1979 में सुषमा स्वराज को भाजपा नेतृत्व ने पार्टी अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त किया। बाद में सुषमा सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री रहीं।
सुषमा स्वराज का पारिवारिक जीवन
सुषमा स्वराज में नारीत्व के सभी गुण थे। वह शादी, पति, परिवार संभालती थीं तो साथ ही देश और अपने पद के प्रति भी गंभीर थीं। सुषमा स्वराज ने शादी के बाद अपने पति का सरनेम नहीं अपनाया था। लेकिन पति के नाम को ही सरनेम बना लिया था। उनके पति का नाम स्वराज कौशल है। इस कदम से उन्होंने अपने स्वावलंबन और पति के प्रति प्रेम दोनों को दिखाया। सुषमा स्वराज की एक बेटी हैं। जिनका नाम बांसुरी स्वराज है।
सुषमा स्वराज की उपलब्धि
सुषमा स्वराज की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है। कि वह सात बार संसद की सदस्य के तौर पर चुनी गईं। उन्हें उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार भी मिला। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 1996 में सुषमा स्वराज सूचना और प्रसारण मंत्री के तौर पर कैबिनेट में शामिल हुईं थीं।
1998 में केंद्रीय मंत्रिमंडल को छोड़कर वह दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। सुषमा स्वराज को एक राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता होने का गौरव प्राप्त है। सुषमा स्वराज के बोलने के कौशल के कारण उन्हें लगातार तीन साल तक राज्य स्तरीय सर्वश्रेष्ठ हिंदी स्पीकर का पुरस्कार मिला था।
सुषमा स्वराज बतौर विदेश मंत्री
सुषमा स्वराज ने बतौर विदेश मंत्री सबसे बड़ी उपलब्धियां हासिल की। एनआरआई और भारत में रहने वाले सभी उनके फैन थे। जब भी कोई सुषमा को ट्वीट करके मदद मांगता तो वह हमेशा मदद का हाथ आगे बढ़ाती थीं। यमन में फंसे साढ़े पांच हजार से ज्यादा लोगों को सुषमा स्वराज ने बचाया था।
और इस ऑपरेशन में भारतीयों के साथ ही 41 देशों के नागरिकों को सुरक्षित उनके देश पहुंचाने में मदद की। आठ साल की बच्ची गीता तो 15 साल पहले भटककर सरहद के पार पाकिस्तान पहुंच गई थी। उसे 23 साल की उम्र में वापस सुषमा भारत लेकर आईं। इसी तरह कोलकाता की जूडिथ को काबुल से अगवा कर लिया गया था। सुषमा से मदद की गुहार लगाई गई तो उन्होंने अफगान अधिकारियों से बात करके जूडिथ को रिहा कराया।