
कैसा है काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का स्वरूप, जानिए कॉरिडोर बनने की कहानी
अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के पहले ही उत्तर प्रदेश को श्रीकाशी विश्वनाथ कॉरिडोर की सौगात मिलने वाली है। आगामी 13 दिसंबर को देश के प्रधानमंत्री श्रीकाशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण करेंगे। आपको बता दें कि लगभग 250 सालों के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर का कायाकल्प किया जा रहा है।
कैसा है कॉरिडोर का स्वरूप
लगभग 800 करोड़ की लागत से काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की परिकल्पना को भव्य स्वरूप दिया गया है। इसे पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट के नाम से जाना जाता है। आपको बता दें कि कॉरिडोर बनाने के लिए पीएम को भी एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा। पीएम को कॉरिडोर का निर्माण कराने के लिए कई बाधाओं को पार करना पड़ा।
जानकारी के अनुसार कभी काशी विश्वनाथ और मां गंगा एकाकार थे जो अब अलग अलग हो चुके है। पीएम मोदी के प्रयास से एक बार पुनः काशी विश्वनाथ और मां गंगा को वही पुराना स्वरूप मिलने वाला है। कॉरिडोर के माध्यम से एक बार फिर इसे पुरातन स्वरूप दिया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने मंदिर न्यास के जरिये तकनीकी बाधाओं से निजात पाने की योजना बनाई और कॉरिडोर के काम को आगे बढ़ाया। कॉरिडोर निर्माण के लिए काशी विश्वनाथ के आस पास के लगभग 197 मकान सहमति से खरीदे गए मगर कॉरिडोर को सीधा करने के लिए कुल 314 भवन अधिग्रहित किये तब जाकर कॉरिडोर को मूल स्वरूप मिला।
इसके लिए मंदिर के कार्यालय में रजिस्ट्री की व्यवस्था की गयी ताकि लोगों को अधिक दौड़ भाग न करनी पड़े। वहीं 1400 लोगों का पुनर्वास किया गया। हालांकि कॉरिडोर के निर्माण में आस पास के ट्रस्ट्र भवनों और मंदिरों का अच्छा खासा सहयोग देखने को मिला। कई मठों और आश्रमों ने खुद ही शासन से संपर्क कर सहयोग में बढ़चढ़ कर अपनी हिस्सेदारी दर्ज कराई।
इतना ही नहीं कॉरिडोर के निर्माण के दौरान मोदी सरकार पर ऐतिहासिक मंदिरों और विग्रहों को नष्ट करने का भी आरोप लगा। दरअसल काशी विश्वनाथ मंदिर के आस पास स्थित घरों में ज्यादातर में मंदिर थे। जिन्हें हटाया गया।
आपको बता दें कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में अतिथि गृह के अलावा मुमुक्षु भवन का निर्माण किया गया है। कॉरिडोर में 27 छोटे छोटे मंदिर भी बनाये गए है। जो पहले से जर्जर अवस्था में थे। मुख्य परिसर में पंचायतन स्वरूप बरकरार रखने के लिए सात मंदिर बनाये गए है।