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आज कृषि क्षेत्र में शोध और अनुसंधान की अग्रणी संस्था ‘भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद’ का 34वां स्थापना दिवस

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश सरकार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की मंशा के अनुरूप कृषि क्षेत्र में शोध और अनुसंधान को बढ़ावा देकर प्रदेश के अन्नदाता किसानों के जीवन में व्यापक परिवर्तन लाने का कार्य कर रही है।

श्री अन्न महोत्सव इस दृष्टि से मील का पत्थर साबित होगा।

प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अगले तीन दिनों तक श्री अन्न महोत्सव का कार्यक्रम होगा। आज कृषि क्षेत्र में शोध और अनुसंधान की अग्रणी संस्था ‘भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद’ का 34वां स्थापना दिवस भी है।

इस संस्था ने कृषि क्षेत्र में हमेशा कुछ नया करने का प्रयास किया है।

मुख्यमंत्री आज यहां इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में अन्तरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष-2023 के उपलक्ष्य में उत्तर प्रदेश मिलेट्स पुनरुद्धार कार्यक्रम के अन्तर्गत श्री अन्न महोत्सव तथा राज्यस्तरीय श्री अन्न प्रदर्शनी एवं कार्यशाला का शुभारम्भ करने के पश्चात इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जी द्वारा 35 एफ0पी0ओ0 को श्री अन्न बीजोत्पादन के लिए सीडमनी अनुदान के रूप में प्रत्येक को 04 लाख रुपये की धनराशि तथा श्री अन्न के प्रसंस्करण को बढ़ावा देने की व्यवस्था के फलस्वरूप 05 कृषि विज्ञान केन्द्रों को प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने के लिए प्रत्येक को 95 लाख रुपये की धनराशि के प्रतीकात्मक चेक प्रदान किये गये।

\इसमें कृषि विज्ञान केन्द्र झांसी, ललितपुर, बांदा, हमीरपुर और गाजीपुर सम्मिलित हैं।

मुख्यमंत्री ने कृषकों को श्री अन्न की उन्नतशील प्रजातियों की मिनी किट, श्री अन्न की खेती कर रहे किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए संस्थानों के प्रतिनिधियों को प्रशस्ति पत्र, उत्तर प्रदेश मिलेट्स पुनरोद्धार परियोजनाओं को संचालित करने वाले विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों को चयन पत्र तथा किसानों को पी0ओ0एस0 मशीन प्रदान कीं।

कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा कृषि के क्षेत्र में किये गये नवाचारों तथा श्री अन्न के गुणों के प्रचार-प्रसार पर बनी लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश और प्रदेश में पिछली सदी के छठे-सातवें दशक तक अच्छी मात्रा में मोटे अनाज का उत्पादन होता था। हमारे दैनिक जीवन का लगभग आधा अन्न, श्री अन्न के रूप में होता था।

वैदिक काल से ही श्री अन्न का महत्व रहा है। इसके नाम अलग-अलग रहे, लेकिन इसकी उपयोगिता हमेशा रही है। इसमें से बहुत सारे श्री अन्न का आज भी उपयोग किया जाता है।

व्रत के दौरान श्री अन्न का सेवन ही व्रती कर सकता है। देश में बढ़ती हुई आबादी की आवश्यकता के अनुरूप खाद्यान्न आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को पूरा किया जा चुका है। इस दिशा में कृषि वैज्ञानिकों और प्रगतिशील किसानों ने शोध और अनुसंधान कार्यक्रमों को आगे बढ़ाकर कृषि उत्पादन को कई गुना बढ़ाने में सफलता प्राप्त की है।

कम क्षेत्रफल में गुणवत्तायुक्त उत्पादन के लिए और अधिक शोध और अनुसंधान की आवश्यकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ज्यादातर श्री अन्न ऑर्गेनिक हैं। इनके उत्पादन में पानी की कम आवश्यकता होती है। विगत 03 वर्षों से लगभग प्रत्येक परिवार में श्री अन्न की कोई न कोई रेसिपी बननी प्रारम्भ हो चुकी है।

अब श्री अन्न से बिस्किट, नमकीन, लड्डू आदि उत्पादों को बनाया जा रहा है।

इन उत्पादों की ओर कोई भी व्यक्ति सहज ही आकर्षित हो सकता है। इन उत्पादों के गुणवत्तापूर्ण निर्माण और प्रचार-प्रसार से लोगों में इनकी मांग बढ़ेगी। वर्तमान में इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों को ध्यान में रखकर इस क्षेत्र में कार्य करने वाले संस्थानों तथा एफ0पी0ओ0 को आज यहां सम्मानित किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि विभाग द्वारा किसानों को श्री अन्न की उन्नतशील प्रजातियों की मिनी किट उपलब्ध कराने के साथ-साथ उन्हें प्रशिक्षित भी किया जाना चाहिए।

किसानों को इस बार जितना बीज मिनी किट के माध्यम से प्रदान किया जा रहा है, अगले वर्ष उनसे उतना बीज जरूर लें, फिर उसके अगले वर्ष इससे दोगुने किसानों को बीज उपलब्ध करायें। इससे अधिक संख्या में किसानों को लाभान्वित किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री अन्न को लेकर किसानों की जागरूकता में वृद्धि हुई है। विगत 06-07 वर्षाें में श्री अन्न के मूल्य में बहुत अधिक वृद्धि हुई है।

खरीफ की फसल के अन्तर्गत वर्ष 2014-15 में बाजरा का एम0एस0पी0 1,250 रुपये प्रति कुन्तल से बढ़कर 2,500 रुपये प्रति कुन्तल, ज्वार का एम0एस0पी0 1,530 रुपये प्रति कुन्तल से बढ़कर 3,180 रुपये प्रति कुन्तल, रागी का एम0एस0पी0 1,550 रुपये प्रति कुन्तल से बढ़कर 3,846 रुपये प्रति कुन्तल, मक्के का एम0एस0पी0 1,310 रुपये प्रति कुन्तल से बढ़कर 2,090 रुपये प्रति कुन्तल हो गया है। ऐसे अनेक उदाहरण हैं, इससे किसानों को लाभ प्राप्त हो रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2017 के पूर्व प्रदेश में एक दर्जन कृषि विज्ञान केन्द्र भी नहीं थे। प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों के रुचि लेने पर कृषि विज्ञान केन्द्रों में सुधार हुआ है।

अच्छी प्रतिस्पद्र्धा के साथ आज ज्यादातर कृषि विज्ञान केन्द्र अच्छा कार्य कर रहे हैं। प्रदेश के चारांे कृषि विश्वविद्यालयों ने इस दिशा में अच्छा कार्य किया है। हमें उपकार जैसी संस्था का भी उपयोग करना चाहिए।

कृषि विश्वविद्यालय, उपकार और कृषि विज्ञान केन्द्र मिलकर कार्य करेंगे, तो प्रदेश के 03 करोड़ किसानों के लिए शोध और अनुसंधान के साथ अच्छी क्वाॅलिटी के बीज उपलब्ध हो पायेंगे। प्रदेश सरकार प्रोसेसिंग सेण्टर के लिए धनराशि उपलब्ध करा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक कृषि विज्ञान केन्द्र और कृषि विश्वविद्यालय को मण्डी समिति और कृषि विभाग से धनराशि उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गयी है, ताकि किसानों को अधिक से अधिक सुविधाएं प्रदान की जा सकें। थोड़ा सा प्रयास करने पर आॅर्गेनिक और नेचुरल फाॅर्मिंग उत्पादों के प्रमाणीकरण के लिए प्रत्येक कृषि विज्ञान केन्द्र और कृषि विश्वविद्यालय में लैब्स स्थापित हो सकती हैं। कृषि वैज्ञानिक आगे आकर मिलेट्स के क्षेत्र में शोध और अनुसंधान के लिए विशेष व्यवस्था करें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 09 जलवायु क्षेत्र हैं। किस जलवायु क्षेत्र में कौन सी फसल हो सकती है, इसका निर्धारण किया जाना चाहिए।

किसानों को इन स्थानों को चिन्हित कर तथा प्रोसेसिंग की व्यवस्था कर क्षेत्र विशेष की आवश्यकता के अनुसार बीज समय पर उपलब्ध कराये जाने चाहिए। प्रदेश के किसानों को गो आधारित प्राकृतिक खेती की ओर उन्मुख होना चाहिए। प्राकृतिक खेती में गोवंश महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के जनपद गौतमबुद्धनगर के ग्रेटर नोएडा में इण्टरनेशनल ट्रेड शो का आयोजन किया गया था। यह ट्रेड शो प्रदेश की पोटेंशियल को प्रदर्शित कर रहा था।

इसमें प्रदेश के परम्परागत उत्पादों का प्रदर्शन किया गया था। इस ट्रेड शो में कृषक उत्पादक संगठनों ने अपनी मेहनत से प्रदेश के कृषि क्षेत्र की सम्भावनाओं को प्रस्तुत करने का कार्य किया था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी ने हम सभी को बहुत बड़ा सबक दिया है। यदि परम्परा से हटकर कृत्रिम जीवन की तरफ जाने का प्रयास करेंगे तो ऐसी और भी महामारियां आयेंगी।

हमें अपने प्राकृतिक परिवेश के साथ जीना होगा। प्राकृतिक वातावरण को बनाये रखने के लिए श्री अन्न सहायक हो सकता है। इस दिशा में अनेक प्रयास किये जाने चाहिए।

उत्तर प्रदेश इन प्रयासों का केन्द्र बिन्दु बनना चाहिए। प्रदेश में इस श्री अन्न महोत्सव मंे कृषि वैज्ञानिकों और प्रगतिशील किसानों का एकत्रीकरण इन सम्भावनाओं को आगे बढ़ाने का कार्य करेगा।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के मार्गदर्शन में तीन दिवसीय श्री अन्न महोत्सव प्रदेश की राजधानी लखनऊ में प्रारम्भ हुआ है।

श्री अन्न की खेती आदिकाल से भारत में होती रही है। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान में सप्तधान्य की पूजा होती है।

वर्तमान में यह सप्तधान्य कदन्न के रूप में हो गया है। वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रयासों से श्री अन्न को पोषण से जोड़ने का कार्य किया गया।

प्रधानमंत्री जी ने श्री अन्न के गुणों को भारत के माध्यम से न्तरराष्ट्रीय स्तर पर सयुंक्त राष्ट्र संघ में रखे जाने की व्यवस्था की। पूरी दुनिया वर्ष 2023 को अन्तरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में मना रही है।

कार्यक्रम को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री श्री राकेश सचान, कृषि राज्य मंत्री श्री बलदेव सिंह ओलख ने भी सम्बोधित किया।

इस अवसर पर अध्यक्ष उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद कैप्टन (सेवानिवृत्त)  विकास गुप्ता, कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव कृषि डाॅ0 देवेश चतुर्वेदी तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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