लखनऊ। बदलती जीवनशैली के कारण बढ़ती बीमारियों को ध्यान में रखते हुए, संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआई) शनिवार से मेडिकल प्रोफेशनल्स और फैकल्टी के लिए एक विशेष मास्टर क्लास शुरू करने जा रहा है। विश्व हेपेटाइटिस दिवस के अवसर पर आयोजित इस दो दिवसीय कार्यक्रम में हेपेटाइटिस ए, बी, सी, और ई के कारणों, उनके त्वरित निदान, बचाव और उपचार पर विस्तृत जानकारी साझा की जाएगी। इस मास्टर क्लास में भाग लेने के लिए उत्तर प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों से लगभग 200 प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया है।
एसजीपीजीआई के हेपेटोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. अमित गोयल ने बताया कि वायरल हेपेटाइटिस भारत में लिवर रोगों और लिवर कैंसर का एक प्रमुख कारण है। आमतौर पर इसका पता तब चलता है जब रोग अंतिम चरण में पहुंच चुका होता है और लिवर को गंभीर क्षति हो चुकी होती है। समय पर निदान और रोकथाम न केवल जीवन बचा सकता है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ने वाले बोझ को भी कम करता है। वायरल हेपेटाइटिस एक ऐसा संक्रमण है जो लिवर में सूजन और क्षति का कारण बनता है। शोधकर्ताओं ने पांच प्रमुख वायरस (ए, बी, सी, डी, और ई) की पहचान की है जो इस रोग को ट्रिगर करते हैं।
इस आयोजन में हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा (एचसीसी) जैसी जटिलताओं के प्रबंधन पर भी चर्चा होगी, जो लिवर कैंसर का सबसे प्रचलित रूप है। यह कैंसर तेजी से बढ़ता है और विशेष रूप से उन लोगों में देखा जाता है जिन्हें लिवर सिरोसिस या मेटाबॉलिक डिसफंक्शन-एसोसिएटेड स्टीटोटिक लिवर डिजीज (एमएएसएलडी) जैसी गंभीर लिवर समस्याएं होती हैं। शुरुआती चरणों में एचसीसी धीरे-धीरे बढ़ता है और सर्जरी या लिवर प्रत्यारोपण के माध्यम से इसका इलाज संभव है। हालांकि, अधिकांश मामलों में रोग का पता तब चलता है जब यह गंभीर हो चुका होता है, जिससे इसका इलाज चुनौतीपूर्ण हो जाता है। देर से निदान के कारण यह लिवर फेलियर का कारण भी बन सकता है।
कार्यक्रम का उद्घाटन संस्थान के निदेशक प्रो. आर. के. धीमन करेंगे, जिसमें डीन और सीएमएस भी मौजूद रहेंगे। इस अवसर पर प्रो. अमित गोयल अन्य विशेषज्ञों और फैकल्टी सदस्यों के साथ मिलकर युवा चिकित्सकों को प्रशिक्षित करेंगे और इस गंभीर स्वास्थ्य समस्या के प्रति जागरूकता बढ़ाएंगे।
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