क्या केवल नाम रखने भर से इस विश्वविद्यालय को देश का महान विश्वविद्यालय द्योषित किया जा सकता है? डॉ कलाम साहब के एक शिष्य श्री सृजन पाल सिंह यहॉं सलाहकार बनाकर रखे गये हैं। उनकी सलाह यहॉं नक्कार खाने में तूती की ही तरह है।
कुलपति ठीक हैं,लेकिन इस विश्वविद्यालय में आईईटी के सिविल इंजीनियरिंग के अध्यापकों का ही कब्जा है। जो भी कुछ नया होता है, उसका जिम्मा यहीं के अध्यापकों को सौंप दिया जाता है। चाहे मामला फैशन डिजाइनिंग इन्सटीट्यूट का हो अथव एयरोस्पेस का।
सीमेन्ट और सरिया की पढ़ाई कराने वाले फैशन डिजायनिंग इन्सटीट्यूट के डायरेक्टर बना दिये गये हैं। क्या यह उचित है? रिसर्च प्रोजेक्ट को सेंक्शन करने आदि में भी अनुचित लाभ लिये जा रहे हैं।
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