
भारतीय प्रतिभाओं को देश में वापस लाने के लिए संरचनात्मक सुधारों पर जोर: राजनाथ सिंह
लखनऊ। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिका के साथ टैरिफ विवाद के बीच विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और डीन से आह्वान किया कि वे अपने संस्थानों में संरचनात्मक बदलाव लाकर ऐसी प्रणाली विकसित करें, जिससे वैश्विक स्तर पर फैली भारतीय प्रतिभाएं अपने देश लौटकर योगदान दे सकें। उन्होंने कहा, “ऐसे कदमों से हमारा अनुसंधान, विकास और नवाचार तंत्र और मजबूत होगा, जो भारत को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने विचार साझा करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, “हमारी प्रतिभाएं, जो विदेशों में कार्यरत हैं, उन्हें किसी अन्य देश में जाने के बजाय भारत लौटने के लिए प्रेरित करना चाहिए। हमें चुनौतियों से घबराने के बजाय अवसरों पर ध्यान देना होगा। इससे हम भविष्य में भारत को केवल प्रौद्योगिकी का उपभोक्ता ही नहीं, बल्कि निर्माता और वैश्विक नेता के रूप में स्थापित कर सकते हैं।
उन्होंने आगे कहा, “हमारी अर्थव्यवस्था जिस तेज गति से प्रगति कर रही है, उसका अगला पड़ाव समृद्धि और खुशहाली है। यह समय भारत की आर्थिक प्रगति का हिस्सा बनने का है। हमें अपने विश्वविद्यालयों, आईआईटी, अनुसंधान प्रयोगशालाओं और कंपनियों में शैक्षणिक स्वतंत्रता के अवसर बढ़ाने होंगे, ताकि हमारी प्रतिभाएं भारत में आकर कार्य कर सकें।”
रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि एक मजबूत रक्षा प्रणाली किसी भी देश की समृद्धि की रक्षा करती है। उन्होंने कहा, “जब रक्षा व्यवस्था सशक्त होती है, तो कोई भी शत्रु आपकी प्रगति की ओर आंख उठाकर नहीं देखता। रक्षा पर किया गया खर्च विकास का हिस्सा है, क्योंकि यह देश के संसाधनों और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। कमजोर सुरक्षा व्यवस्था देश के विकास को पीछे धकेलती है और नागरिकों के जीवन-माल को खतरे में डालती है।”
उन्होंने युवाओं से न केवल वैज्ञानिक बनने, बल्कि योद्धा जैसी मानसिकता अपनाने का भी आग्रह किया। राजनाथ सिंह ने कहा, “हमारी युवा पीढ़ी को विज्ञान, गणित, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम भौतिकी और अंतरिक्ष अनुसंधान में आगे बढ़ाना होगा, लेकिन साथ ही प्रत्येक नागरिक और छात्र के मन में राष्ट्र की सुरक्षा का संकल्प भी जीवित रहना चाहिए। यह न केवल उनके व्यक्तिगत विकास के लिए, बल्कि समाज और देश की सुरक्षा के लिए भी जरूरी है।